- दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई शहरों में AQI बेहद खराब या गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है.
- नोएडा में वायु प्रदूषण सबसे अधिक है, जहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 418 तक दर्ज किया गया है.
- पहाड़ी इलाकों जैसे नैनीताल और शिमला में वायु गुणवत्ता बेहतर बनी हुई है, जहां AQI अच्छी श्रेणी में है.
दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई शहरों में एयर क्वालिटी खतरनाक स्तर पर बनी हुई है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, शनिवार सुबह दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 384 दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर' श्रेणी में आता है.
नोएडा में हालात और भी खराब हैं, जहां AQI 418 तक पहुंच गया है. गाजियाबाद में 379, गुरुग्राम में 361 और फरीदाबाद में 402 का स्तर दर्ज किया गया. लखनऊ में भी हवा की गुणवत्ता चिंताजनक है, जहां AQI 355 है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में AQI 251 दर्ज हुआ, जबकि चंडीगढ़ में 313 रहा.
| Pollution Measurement Centre | AQI |
| नई दिल्ली | 388 |
| ITO दिल्ली | 342 |
| द्वारका | 262 |
| पंजाबी बाग | 347 |
| सिरीफोर्ट | 342 |
| लोधी रोड | 302 |
| आरके पुरम | 363 |
पहाड़ों पर ही है राहत
पहाड़ी इलाकों में स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है. उत्तराखंड के नैनीताल में AQI 94 और हिमाचल के शिमला में सिर्फ 30 दर्ज किया गया, जो ‘अच्छी' श्रेणी में आता है.

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सर्दियों में दिल्ली बन जाती है गैस चैंबर
ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली की हवा में इतना जहर घुला हो, इससे पहले भी हर साल ऐसा ही होता रहा है. दिल्ली के लोगों को सर्दियों में और खासतौर पर अक्टूबर से लेकर जनवरी तक बेहद जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. यही वजह है कि राजधानी दिल्ली दुनिया के उन शहरों की लिस्ट में टॉप पर है, जहां सबसे ज्यादा पॉल्यूशन है.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच को 'मध्यम', 201 से 300 के बीच को 'खराब', 301 से 400 के बीच को 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच को 'गंभीर' श्रेणी में रखा जाता है.
आने वाले दिनों में प्रदूषण के क्या हालात
वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक शहर की वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब' श्रेणी में रहने का अनुमान है. दिल्ली की वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए निर्णय समर्थन प्रणाली के अनुसार, गुरुवार को परिवहन क्षेत्र ने राजधानी के प्रदूषण में 13.7 प्रतिशत योगदान दिया, जो स्थानीय स्रोतों में सबसे अधिक रहा. इसके मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के पड़ोसी इलाकों में हरियाणा के झज्जर से 11.8 प्रतिशत, रोहतक से 4.3 प्रतिशत, सोनीपत से 3.4 प्रतिशत और गुरुग्राम से 1.2 प्रतिशत योगदान दर्ज किया गया.
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर से सांस और हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. लोगों को बाहर निकलते समय मास्क पहनने और अनावश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है.
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