राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार को भी जहरीली हवा से कोई राहत नहीं मिली और वायु गुणवत्ता 'बेहद खराब' श्रेणी में दर्ज की गई. सुबह नौ बजे के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 323 रहा है. दिल्ली भर के 30 निगरानी स्टेशन ने 'बेहद खराब' स्तर की हवा दर्ज की, जिसमें बवाना में सबसे अधिक एक्यूआई 373 दर्ज किया गया.
सप्ताह के दौरान एक्यूआई में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। रविवार को राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 279 दर्ज किया गया, जो सोमवार को बढ़कर 304 हो गया. मंगलवार को यह और बढ़कर 372 हो गया, जो 'गंभीर' श्रेणी की ओर बढ़ रहा था। बुधवार को यह 342 पर पहुंच गया। बृहस्पतिवार को यह फिर से 304 पर पहुंचकर 'बेहद खराब' हो गया.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शून्य से 50 के बीच वायु गुणवत्ता सूचकांक को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच को 'मध्यम', 201 से 300 के बीच को 'खराब', 301 से 400 के बीच को 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच को 'गंभीर' श्रेणी में रखा जाता है.
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सर्दियों में दिल्ली बन जाती है गैस चैंबर
ये पहली बार नहीं है जब दिल्ली की हवा में इतना जहर घुला हो, इससे पहले भी हर साल ऐसा ही होता रहा है. दिल्ली के लोगों को सर्दियों में और खासतौर पर अक्टूबर से लेकर जनवरी तक बेहद जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर होना पड़ता है. यही वजह है कि राजधानी दिल्ली दुनिया के उन शहरों की लिस्ट में टॉप पर है, जहां सबसे ज्यादा पॉल्यूशन है.
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