दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार (Arrested) आप नेता सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) को ‘‘विकृतचित्त व्यक्ति'' घोषित करने और इस आधार पर उन्हें विधानसभा सदस्य एवं मंत्री पद के लिए अयोग्य ठहराए जाने की मांग वाली जनहित याचिका पर मंगलवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, 'हम उचित आदेश पारित करेंगे.' याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत के समक्ष देखा गया है कि जैन की ‘‘याददाश्त खो गई है'' और इसलिए उन्हें विधानसभा सदस्य नहीं रहने दिया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता आशीष कुमार श्रीवास्तव ने अपनी याचिका में दावा किया कि जैन ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष 'खुद घोषित किया है कि उन्होंने अपनी याददाश्त खो दी है' और निचली अदालत को भी इसकी जानकारी दी. उन्होंने अदालत से कहा कि ईडी कोई साधारण एजेंसी नहीं है और उसे दिया गया कोई भी बयान अदालत में स्वीकार्य होता है तथा यदि उन्होंने मंत्री होने के नाते निर्देश जारी किए हैं, जो उन्हें याद नहीं हैं तो इससे जनता प्रभावित हो सकती है.
वकील रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि निचली अदालत के समक्ष जैन की जमानत अर्जी के जवाब में ईडी ने सूचित किया कि आप नेता ने 'स्वीकार किया है कि गंभीर कोविड के कारण उनकी याददाश्त चली गई थी' और 'याददाश्त खोने की खबर सभी मीडिया स्रोतों द्वारा कवर की गई तथा यह सभी के सामने है.'
ईडी ने 30 मई को जैन को धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में हैं.
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