
- सीबीआई ने अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट के सरगना को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया
- मई 2025 में ऑपरेशन चक्र के तहत नोएडा के फर्जी कॉल सेंटर फर्स्ट आइडिया का पर्दाफाश किया गया था
- कॉल सेंटर टेक-सपोर्ट स्कैम के जरिए ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन यूनियन के लोगों से ठगी कर रहा था
सीबीआई ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट के सरगना को गिरफ्तार किया है. यह वही गिरोह है, जिसे सीबीआई ने इसी साल मई 2025 में ऑपरेशन चक्र के तहत पकड़ा था. मई 2025 में सीबीआई ने अमेरिकी एजेंसी एफबीआई , ब्रिटेन की नेशनल क्राइम एजेंसी और माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन के साथ मिलकर मामला दर्ज किया था. इस दौरान नोएडा के स्पेशल इकोनॉमिक जोन में चल रहे एक फर्जी कॉल सेंटर 'फर्स्ट आइडिया' का पर्दाफाश किया गया.
छापेमारी के दौरान पकड़ा गया था आरोपी
यह कॉल सेंटर टेक-सपोर्ट स्कैम के जरिए ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपियन यूनियन के लोगों से ठगी कर रहा था. छापेमारी के दौरान कई डिजिटल सबूत और उपकरण जब्त किए गए थे और एक आरोपी को भी पकड़ा गया था. इसी आरोपी ने FirstIdea नाम की यह कंपनी बनाई थी. वही इसके जरिए साइबर ठगी का पूरा नेटवर्क चलाता था और पैसे का सबसे बड़ा फायदा भी वही ले रहा था. मई में केस दर्ज होने के बाद से वह लगातार फरार था और जांच से बचता फिर रहा था, आरोपी का नाम अर्जुन प्रकाश है.
नेपाल भागने का था प्लान
25 अगस्त को सीबीआई ने इमिग्रेशन अधिकारियों की मदद से आरोपी को दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर पकड़ लिया. वह नेपाल के काठमांडू जाने वाली फ्लाइट पकड़ने की कोशिश कर रहा था. सीबीआई ने कहा कि वह साइबर अपराधियों पर नकेल कसने के लिए लगातार अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रही है. ऑपरेशन चक्र और इसी तरह की अन्य कार्रवाइयों के जरिए ऐसे संगठित अपराधियों को पकड़ा जाएगा और कड़ी सजा दिलाई जाएगी.
क्या है ऑपरेशन चक्र?
सीबीआई साइबर अपराधियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन चक्र चला रही है. इसे इस क्राइम नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए शुरू किया गया था. इस ऑपरेशन में विदेशी एजेंसियां भी शामिल होती हैं. यानी विदेश में बैठकर भारत के लोगों से ठगी करने वालों को दबोचने का काम किया जाता है. इंटरपोल ऐसे मामलों में मदद करती है. इस ऑपरेशन से डिजिटल अरेस्ट स्कैम, बैंक खाते से जुड़े फ्रॉड और सिम स्वैप जैसे मामलों को देखा जाता है. ऐसे ठगी करने वालों के ठिकानों पर छापेमारी होती है और फिर उनके खिलाफ सबूत जुटाए जाते हैं.
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