- दिल्ली HC ने इंडिगो संकट पर DGCA के कदमों की सराहना करते हुए हालात पर चिंता भी जताई.
- अदालत ने कहा कि यात्रियों की परेशानी के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था भी इस संकट से प्रभावित हुई है.
- डीजीसीए ने इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया है और नियमों के उल्लंघन को संकट का कारण बताया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो संकट पर सरकार और डीजीसीए द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की. हालांकि अदालत ने ये चिंता भी जताई कि आखिर ऐसी स्थिति कैसे उत्पन्न होने दी गई, जिसकी वजह से पूरे देश के हवाई अड्डों पर लाखों यात्री फंसे रहे. बेंच ने कहा कि यह न सिर्फ यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बना, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुई, क्योंकि मौजूदा समय में यात्रियों का तेज आवागमन अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण पहलू है.
ये भी पढ़ें- 35 हजार का टिकट कैसे... इंडिगो मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने यात्रियों के दर्द का मांगा हिसाब
22 जनवरी तक सीलबंद लिफाफे में मांगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट ने कहा कि फंसे हुए यात्रियों को हुई परेशानी और उत्पीड़न के अलावा, यह अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का भी सवाल है. बता दें कि बेंच ने इस मामले पर डेढ़ घंटे से अधिक समय तक सुनवाई की. उन्होंने कहा कि अगर समिति द्वारा शुरू की गई जांच पूरी हो जाती है तो उसकी रिपोर्ट अगली तारीख 22 जनवरी को अदालत में सीलबंद लिफाफे में पेश की जाए.
DGCA के वकील ने कोर्ट को क्या बताया?
डीजीसीए की तरफ से पेश वकील ने अदालत को बताया कि कानूनी प्रावधान पूरी तरह लागू हैं और इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है, जिसने काफी क्षमायाचना की है. सरकार के वकील ने यह भी कहा कि यह संकट कई दिशानिर्देशों का अनुपालन न करने की वजह से पैदा हुआ, जिनमें चालक दल के सदस्यों के उड़ान की ड्यूटी के घंटों से संबंधित नियम भी शामिल हैं.
अदालत ने कहा कि किराए में जो अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई थी, उसे अब नियंत्रित और सीमित कर दिया गया है, जो पहले किया जाना चाहिए था. अदालत इंडिगो द्वारा सैकड़ों उड़ान रद्द किए जाने से प्रभावित यात्रियों को सहायता और भुगतान राशि वापस दिलाने के लिए केंद्र को निर्देश देने संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
यात्रियों को परेशानियों के लिए भी मिले मुआवजा
सुनवाई के दौरान बेंच ने इस बात पर असंतोष जताया कि याचिका बिना सोच-विचार और दस्तावेजों के दाखिल कर दी गई. इंडिगो की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि यह संकट कई कारणों और कुछ अप्रत्याशित समस्याओं के कारण उत्पन्न हुआ. अदालत ने विमानन कंपनी को निर्देश दिया कि यात्रियों को न सिर्फ उड़ान रद्द होने के लिए बल्कि अन्य परेशानियों के लिए भी मुआवजा देने की व्यवस्था की जाए. बेंच ने कहा कि चूंकि समिति का गठन हो चुका है और उसमें इंडिगो को अपना पक्ष रखने का अवसर मिलेगा, इसलिए हम फिलहाल उड़ान सेवाओं में व्यवधान के कारणों पर कोई टिप्पणी करने से परहेज करते हैं.
बेंच ने कहा कि हमने यह मामला जनहित के तहत संज्ञान में लिया है, लेकिन यह स्पष्ट कर देते हैं कि हमारी टिप्पणियों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकार और विमानन कंपनी जनहित को सर्वोपरि रखें. अदालत ने यह निर्देश भी दिया कि स्थिति जल्द सामान्य की जाए और सभी विमानन कंपनियां पर्याप्त संख्या में पायलटों की नियुक्ति सुनिश्चित करें.
इनपुट- भाषा के साथ
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं