दिल्ली सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल के बीच अधिकारों के विवाद पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आरोपों का गलत ठहराया है. सरकार ने कहा कि अफसरों को लेकर दिल्ली सरकार के इल्जाम गलत और आधारहीन हैं. दिल्ली सरकार के आरोप गलत हैं कि अधिकारी सरकार की मीटिंग में उपस्थित नहीं होते हैं. केंद्र ने अदालत में ये भी कहा कि ये आरोप भी आधारहीन है कि अफसर न केवल मीटिंग में गैरहाजिर रहते हैं, बल्कि योजनाओं पर अमल करवाने में भी अपेक्षित सहयोग नहीं करते.
दिल्ली सरकार की ओर से उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के हलफनामे के जवाब में केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से दाखिल जवाबी हलफनामे में कहा गया है. ये आरोप भी गलत है कि अधिकारियों को मंत्री फोन करते हैं तो वे फोन उठाते नहीं. पलट कर फोन भी नहीं आता. दिल्ली सरकार के आरोपों की जांच में ये पाया गया कि कुछ मीटिंग में एकाध अधिकारियों को छोड़ कर सभी अधिकारी उपस्थित थे.
सरकार ने कहा कि जिस खास तारीख का जिक्र सिसोदिया ने अपने हलफनामे में किया है, उस दिन सरकार ने ही उस अधिकारी को दूसरे काम की जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इस वजह से वो अनुपस्थित थे. किसी खास अधिकारी या एकाध मीटिंग को टारगेट कर कुछ भी लिखना उचित नहीं है. इस मामले में संविधान पीठ में 10 जनवरी को सुनवाई होनी है.
बता दें कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल की शक्तियों के अधिकार के मामले में आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. दिल्ली सरकार ने कहा, "नौकरशाहों ने बैठकों में भाग नहीं लिया, कॉल नहीं लिया, मंत्रियों के आदेशों की अवहेलना की और चुनी हुई सरकार के साथ उदासीनता के साथ व्यवहार किया. इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की नियुक्ति के साथ समस्या और भी विकट हो गई है."
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