दिल्ली के अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (AIIMS)में साइबर हैकिंग के बाद सर्वर डाउन हुए करीब एक हफ्ते से भी ज्यादा का समय हो गया है. AIIMS का सर्वर कैसे हैक हुआ, किसने किया इसकी जांच दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSO यूनिट कर रही है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक, सर्वर हैकिंग का कनेक्शन देश से बाहर होने का भी शक है. जांच टीम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि हांगकांग से सर्वर हैकिंग की साजिश हो सकती है. अभी दिल्ली पुलिस ने इन्फेक्टेड सर्वर को सेंट्रल फोरेंसिक लैब भेजा है. उसकी रिपोर्ट जल्द आ सकती है. जिसके बाद ही बैकिंग के सोर्स का ठीक-ठीक पता चल पाएगा. हालांकि, इस मामले में चीन या पाकिस्तान के हैकर्स का कोई हाथ है या नहीं, इस मामले में भी पुलिस ने कोई बयान नहीं दिया है. जांच जारी है.
सूत्रों के मुताबिक AIIMS के इन्फेक्टेड सर्वर को जांच के लिए सेंट्रल फोरेंसिक लैब (CFSL) भेजा गया है. CFSL इसकी जांच कर यह पता लगाएगी कि इस सर्वर को कहां से हैक किया गया और इसका सोर्स क्या है? क्या यह हैकिंग भारत से ही की गई है या बाहर से किसी ने यह हरकत की है. जांच में इन सवालों का जवाब मिलने की उम्मीद है.
एम्स के सर्वर रिस्टोर करने में गृह मंत्रालय, आईटी मंत्रालय और कई अलग-अलग विभाग के कर्मचारी काम कर रहे है. सर्वर हैक कैसे हुआ, इसकी आधिकरिक तौर पर जांच दिल्ली पुलिस कर रही है. अनौपचारिक तौर पर एनआईए भी एम्स जाकर इसकी जांच में शामिल हुई है. सीएफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद जल्द ही दिल्ली पुलिस कोई आधिकारिक बयान जारी कर सकती है.
2 कर्मचारी सस्पेंड
वहीं, साइबर अटैक (AIIMS Cyber Attack) मामले में 2 कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. ये दोनों सिस्टम एनालिस्ट हैं. दोनों को पहले कारण बताओ नोटिस दिया गया था. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर एम्स प्रशासन ने दोनों को सस्पेंड कर दिया है. इस बीच एम्स के 50 में से 30 सर्वर में एंटी वायरस डालकर स्कैन किया जा चुका है.
23 नवंबर को हैक हुआ था सर्वर
दिल्ली एम्स का सर्वर 23 नवंबर की सुबह 6.45 मिनट पर हैक किया गया था. सबसे पहले इमरजेंसी लैब के कंप्यूटर सेंटर में यह बात पकड़ में आई. इसके बाद धीरे-धीरे अस्पताल के पूरे कंप्यूटराइज्ड सिस्टम का सर्वर ही रैनसमवेयर अटैक के जरिये हैकर्स ने अपने कब्जे में कर लिया. इसके बाद से सर्वर की सफाई कर उसे हैकर्स के चंगुल से छुड़ाने की कोशिश की जा रही है. एकतरफ दिल्ली पुलिस इस हैकिंग की जांच कर रही है तो दूसरी तरफ, इंडिया कंप्यूटर इमरजेंसी टीम (CERT-IN) के एक्सपर्ट्स ऑनलाइन तरीके से हैकर्स से निपटने की कोशिश कर रहे हैं. एम्स में प्रति साल 38 लाख मरीज इलाज करवाते हैं. इस साइबर अटैक से मरीजों की डाटा चोरी होने की आशंका है.
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