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This Article is From Jul 10, 2017

महाराष्ट्र में दही हांडी त्यौहार : राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा - बच्चों की सुरक्षा की हम व्यवस्था करेंगे

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुरानी याचिका का निस्तारण हो चुका है.

महाराष्ट्र में दही हांडी त्यौहार : राज्य सरकार ने कोर्ट से कहा - बच्चों की सुरक्षा की हम व्यवस्था करेंगे
महाराष्ट्र में दही हांडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
नई दिल्ली: महाराष्ट्र में दही हांडी का मामला की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 18 साल से कम उम्र के बच्चों के भाग लेने की इजाजत मांगी है. सरकार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ये इजाजत दे दे. सरकार ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इन बच्चों के साथ कोई दुर्घटना ना हो. सरकार ये भी देखेगी कि बच्चों के लिए क्रेन का इस्तेमाल हो.

राज्य सरकार ने मांग की कि दही हांडी 14 अगस्त को होना है इसलिए कोर्ट अपने आदेशों में नरमी बरते. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो क्या क्या कदम उठाएगी इसके लिए एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करें। अब कोर्ट 1 अगस्त को सुनवाई करेगी. 

इससे पहले सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दही हांडी के खिलाफ याचिकाकर्ता स्वाति पाटिल को नोटिस जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुरानी याचिका का निस्तारण हो चुका है. याचिका को दोबारा शुरू किया गया था. सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार की दही-हांडी के मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई कर रहा था.

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 2014 के आदेशों में स्पष्टता देने की गुहार लगाई थी, जिसमें 12 साल तक के बच्चों को दही-हांडी में हिस्सा लेने की इजाजत दी गई थी और साथ ही हाईकोर्ट के 20 फुट की ऊंचाई सीमित करने के आदेश पर रोक लगा दी थी. सरकार का कहना है कि क्या यह आदेश एक साल के लिए था या अभी भी लागू है?

महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 11 अगस्त 2014 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 18 साल से कम के युवक दही-हांडी में हिस्सा नहीं ले सकते और इसकी ऊंचाई भी 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. आयोजकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए 12 साल तक के बच्चों को हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी और ऊंचाई के आदेश पर भी रोक लगा दी थी, लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का निस्तारण कर दिया.

ASG के मुताबिक, अब हाईकोर्ट इस मामले में अदालत की अवमानना का मामला मानते हुए सुनवाई कर रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश के बारे में स्पष्ट करे कि आखिर ये छूट सिर्फ उसी साल के लिए थी या आगे भी लागू रहेगी.

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