
- सीपी राधाकृष्णन को एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया है. आज पीएम से उनकी औपचारिक मुलाकात हुई.
- राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं और उन्होंने दो बार लोकसभा सदस्य के रूप में भी काम किया है.
- राधाकृष्णन का उपराष्ट्रपति चुना जाना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि भाजपा के पास संसद में बहुमत है.
एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने आज दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. रविवार को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद ये दोनों नेताओं की औपचारिक मुलाकात थी. चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. राधाकृष्णन तमिलनाडु की एक प्रमुख ओबीसी जाति से आते हैं और आरएसएस की पृष्ठभूमि से हैं.
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक और पार्टी के सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद रविवार को सीपी राधाकृष्णन के नाम का ऐलान किया था. राधाकृष्णन दो बार लोकसभा सदस्य भी रह चुके हैं.

राधाकृष्णन के रूप में भाजपा ने एक ऐसे नेता पर भरोसा किया है, जिसकी संगठनात्मक और वैचारिक प्रतिबद्धता पर सबको विश्वास है. वह अपने पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़ से कई मायनों में बहुत अलग हैं.
वहीं राजग के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में अपने नाम की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, राधाकृष्णन ने मोदी समेत भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेताओं को धन्यवाद दिया. उन्होंने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "मुझ पर उन्हें जो विश्वास है और उन्होंने मुझे राष्ट्र की सेवा करने का जो अवसर दिया है, उससे मैं अभिभूत हूं. मैं अपनी अंतिम सांस तक राष्ट्र के लिए कड़ी मेहनत करने का आश्वासन देता हूं."

लोकसभा और राज्यसभा सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल में भाजपा और उसके सहयोगी दलों के पास पर्याप्त बहुमत होने के कारण, राधाकृष्णन का निर्वाचन लगभग तय है. पार्टी को उम्मीद है कि उनकी पदोन्नति से उसे तमिलनाडु में पैठ बनाने में मदद मिलेगी, जहां अगले साल चुनाव होने हैं.
उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है. प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों के अलावा भाजपा नीत गठबंधन के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री भी राधाकृष्णन के नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया का हिस्सा होंगे. अगर विपक्ष भी अपना उम्मीदवार घोषित कर देता है तो चुनाव नौ सितंबर को होगा.
संसद के मानसून सत्र के पहले दिन 21 जुलाई को धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक इस्तीफा देने के बाद उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जरूरी हो गया है.
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