Coronavirus: सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 के उपचार और अस्पतालों में कोरोना संक्रमित शवों के साथ बुरा बर्ताव करने के मामले में सुनवाई हुई. स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की पीठ कर रही है. मामले में कोर्ट ने दिल्ली के साथ-साथ महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आपने क्या किया है? डॉक्टरों नर्सों को सुरक्षा दीजिए. आप सच बाहर नहीं आने देना चाहते, कई वीडियो बाहर आए हैं. कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की. सच सामने लाने वाले डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के निलंबन और FIR पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि आप डॉक्टरों, कर्मचारियों को धमकी नहीं दे सकते हैं. डॉक्टरों को परेशान करना बंद करो, उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करना बंद करो. उन्हें अपना काम करने दें. आप सच्चाई को दबा नहीं सकते.आपने एक डॉक्टर को निलंबित क्यों किया, जिसने आपके एक अस्पताल की दयनीय स्थितियों का वीडियो बनाया था.
कोर्ट ने कहा कि सुनिश्चित करें कि आप तुरंत डॉक्टरों का उत्पीड़न बंद कर दें. वे आपके योद्धा हैं और आप उनके साथ कैसा व्यवहार करते हैं? बेहतर हलफनामा दाखिल करें. शुक्रवार को अगली सुनवाई होगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 के उपचार और अस्पतालों में कोरोना संक्रमित शवों के साथ गलत व्यवहार को लेकर सुनवाई करते हुए कहा था कि शवों के साथ अनुचित व्यवहार हो रहा है. कुछ शव कूड़े में मिल रहे हैं. लोगों के साथ जानवरों से भी बदतर व्यवहार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मीडिया ने इस तरह की रिपोर्ट दिखाई हैं.
बता दें कि कोर्ट ने इस मामले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि दिल्ली और इसके अस्पतालों में बहुत अफसोसजनक स्थिति है. एमएचए दिशानिर्देशों का कोई पालन नहीं हो रहा है. अस्पतालों में शवों की उचित देखभाल नहीं की जा रही है. यहां तक कि कई मामलों में मरीजों के परिवारों को भी मौतों के बारे में सूचित नहीं किया जाता है. परिवार कुछ मामलों में अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए हैं.
कोर्ट ने कहा कि मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल में लॉबी और वेटिंग एरिया में शव पड़े थे.वार्ड के अंदर, ज्यादातर बेड खाली थे, जिनमें ऑक्सीजन, सलाइन ड्रिप की सुविधा नहीं थी. बड़ी संख्या में बेड खाली हैं, जबकि मरीज भटकते फिर रहे हैं. कोर्ट ने इस मामले के लिए केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया और साथ ही दिल्ली के LNJP अस्पताल को भी नोटिस जारी किया.
कोर्ट ने मुख्य सचिवों को मरीजों की प्रबंधन प्रणाली का जायजा लेने और कर्मचारियों, रोगी आदि के बारे में उचित स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार पर टेस्टिंग को लेकर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि चेन्नई और मुंबई के मुकाबले मामले बढ़े. कोर्ट ने पूछा कि टेस्टिंग एक दिन में 7000 से 5000 तक कम क्यों हो गई है? जबकि मुंबई और चेन्नई में यह टेस्टिंग 15 हजार से 17 हजार हो गई है.
दिल्ली सरकार ने खुद संकेत दिया है कि COVID रोगियों के परीक्षण की संख्या कम हो गई है. जो भी अनुरोध करता है उसके अनुरोध को तकनीकी आधार पर टेस्टिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है. सरकार प्रक्रिया को सरल बनाने पर विचार करे ताकि अधिक से अधिक टेस्ट किए जा सकें. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के अलावा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में गंभीर स्थिति है.
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