गुजरातियों पर विवादित टिप्पणी के चलते मानहानि का मुकदमा झेल रहे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. इस बीच ही तेजस्वी यादव ने एक नया हलफनामा दायर कर गुजरातियों पर की गई विवादित टिप्पणी पर खेद जताया है और अपने बयान को वापस लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस माफीनामा हलफनामे को रिकॉर्ड पर ले लिया हैं.
दरअसल सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए थे कि वो मानहानि केस को खत्म भी कर सकते है. सुप्रीम कोर्ट ने तेजस्वी को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा था कि उन्हें अपनी टिप्पणी के लिए खेद है और वो इसे वापस ले रहे हैं. जिसके बाद तेजस्वी यादव ने अब ये हलफनामा दायर कर दिया है.
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने तेजस्वी के पूर्व के हलफनामे को लेकर शिकायतकर्ता द्वारा आपत्ति जताये जाने के बाद एक नया बयान दाखिल करने के लिए राजद नेता को एक हफ्ते का वक्त दिया था. पीठ ने विषय की अगली सुनवाई को पांच फरवरी के लिए स्थगित करते हुए कहा था, ‘‘हम याचिकाकर्ता को एक उपयुक्त बयान दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का वक्त देते हैं.''
शीर्ष अदालत तेजस्वी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उन्होंने उनकी कथित टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अहमदाबाद की एक अदालत में लंबित आपराधिक मानहानि शिकायत को राज्य के बाहर स्थानांतरण का अनुरोध किया था.
कथित आपराधिक मानहानि को लेकर तेजस्वी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दायर की गई थी. गुजरात की अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और एक स्थानीय व्यवसायी और कार्यकर्ता हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था.
शिकायत के अनुसार, तेजस्वी ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए गुजरातियों पर विवादित टिप्पणी की थी. बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा?'' मेहता ने दावा किया कि तेजस्वी की टिप्पणियों ने सभी गुजरातियों को बदनाम किया है.
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