विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस' (Indian National Developmental Inclusive Alliance) की राष्ट्रीय राजधानी में 19 दिसंबर को बैठक होगी. बैठक में ‘‘मुख्य सकारात्मक एजेंडा'' बनाना, सीटों के बंटवारे और संयुक्त रैलियां आयोजित करने के कार्यक्रम पर चर्चा हो सकती है. उधर, सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस (Congress) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बीच जारी मतभेदों को भी सुलझा लिया गया है.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को ‘एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया' के नेताओं की चौथी बैठक मंगलवार, 19 दिसंबर 2023 को अपराह्न तीन बजे नई दिल्ली में होगी.''
INDIA की पार्टियों के नेताओं की चौथी बैठक मंगलवार 19 दिसंबर 2023 को नई दिल्ली में दोपहर 3 बजे से होगी।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 10, 2023
The 4th meeting of the leaders of INDIA parties will be held on Tuesday December 19th, 2023 in New Delhi at 3pm.
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हालिया चुनावों में तीन प्रमुख राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी के लिए सीट-बंटवारे पर बातचीत कठिन होने के कयास लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस ने राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सत्ता को भाजपा के हाथों गंवा दिया है, वहीं वह मध्य प्रदेश में सत्ता में लौटने में विफल रही है.
सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के साथ अपने मतभेद सुलझा लिए हैं, जो पांच राज्यों के हालिया चुनावों के बाद हो रही बैठक में उनकी उपस्थिति को लेकर संकेत दे रहा है.
पिछले हफ्ते होने वाली 'इंडिया' गठबंधन के नेताओं की बैठक को स्थगित कर दिया गया था. अखिलेश यादव, नीतीश कुमार और ममता बनर्जी समेत कई नेताओं ने संकेत दिया था कि वे इसमें शामिल नहीं होंगे.
बैठक चुनाव परिणाम वाले दिन बुलाई गई थी और तीन दिन बाद होनी थी. इसके चलते सबसे पुरानी पार्टी को अपनी कमियों का आकलन करने और हार का कारण जानने का वक्त नहीं मिला. कांग्रेस के लिए सिर्फ एक अच्छी खबर तेलंगाना में जीत थी.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने के लिए बनाए गए इंडिया गठबंधन की कई पार्टियां कई तरह के सवाल उठा रही हैं. कई क्षेत्रीय पार्टियां अपने इलाकों में खुद के दम पर ही चुनाव लड़ना चाहती हैं या फिर वह बड़े सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ने का दबाव बना रही हैं.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव का अतीत में एक से अधिक बार कांग्रेस नेतृत्व के साथ मतभेद रहे हैं, जिसमें मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सीट-बंटवारे की विफल वार्ता पर अपने सहयोगी की आलोचना करना भी शामिल है.
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