विज्ञापन
This Article is From Jun 17, 2024

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं बनना चाहते राहुल, जानें अब किसके नाम की है चर्चा; क्यों अहम होता है ये पद?

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले INDIA अलायंस को 232 सीटें मिली. कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं. ये लोकसभा की कुल संख्या का 18% हैं. ऐसे में साफ है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस को ही ऑफर किया जाएगा.

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष नहीं बनना चाहते राहुल, जानें अब किसके नाम की है चर्चा; क्यों अहम होता है ये पद?
लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी ने यूपी की रायबरेली और केरल की वायनाड सीट से जीत दर्ज की है.
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में तीसरी बार NDA सरकार का गठन हो चुका है. नरेंद्र मोदी  (PM Narendra Modi) तीसरी बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं. 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होकर 3 जुलाई को समाप्त होगा. 9 दिवसीय विशेष सत्र के दौरान लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) का चुनाव किया जाएगा और नए सांसद शपथ लेंगे. इसी दौरान संसद को लीडर ऑफ अपोजिशन (Leader of the Opposition) यानी नेता प्रतिपक्ष भी मिलेगा. ये पद पिछले 10 साल से खाली पड़ा है. आखिरी बार सुषमा स्वराज 2009 से 2014 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष थीं. लेकिन 2014 और 2019 के चुनावों में किसी भी विपक्षी दल के 54 सांसद नहीं जीते. नियमों के मुताबिक नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए लोकसभा की कुल संख्या का 10% यानी 54 सांसद होना जरूरी है. इस बार कांग्रेस को ये पद दिया जाएगा. पहले ऐसी अटकलें थी कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हो सकते हैं. लेकिन सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने यह पद अस्वीकार कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस की तरफ से 3 नाम सामने आ रहे हैं.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले INDIA अलायंस को 232 सीटें मिली. कांग्रेस को 99 सीटें मिली थीं. ये लोकसभा की कुल संख्या का 18% हैं. ऐसे में साफ है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद कांग्रेस को ही ऑफर किया जाएगा. कांग्रेस पार्टी के सूत्रों के मुताबिक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष पद के लिए राहुल गांधी के इनकार करने के बाद तीन सीनियर नेताओं कुमारी शैलजा, गौरव गोगोई और मनीष तिवारी के नाम पर विचार किया जा रहा है. गौरव गोगोई असम के जोरहाट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं. वे गांधी परिवार के करीबी भी हैं. कुमारी शैलजा ने हरियाणा के सिरसा से जीत हासिल की है. मनीष तिवारी ने चंडीगढ़ चुनाव जीता है.

देखो आधा दिन तो आराम करना ही पड़ेगा... जब प्रणब दा के पिता जैसे दुलार पर भावुक हो गए थे पीएम मोदी

कांग्रेस के सभी नेताओं को उम्मीद है कि राहुल गांधी इस बार लोकसभा में विपक्ष के नेता बनेंगे. कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में इस पर प्रस्ताव भी पास हो चुका है. उन्हें मनाने की कोशिशें भी की जा रही हैं. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी लीडर ऑफ अपोजिशन नहीं बनना चाहते.

2019 में राहुल गांधी ने छोड़ दिया था कांग्रेस अध्यक्ष का पद
2019 में लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया था. इसके बाद तमाम कोशिशें की गईं, लेकिन राहुल नहीं मानें. आखिरकार मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस अध्यक्ष बनाए गए. सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी ने कोई भी पद लेने से परहेज किया है.

राहुल बने नेता प्रतिपक्ष तो कांग्रेस को मिलेगी मजबूती
दूसरी ओर, पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता बने, तो कांग्रेस को नई दिशा और ऊर्जा मिल सकती है. अगर राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष बनते हैं, तो उन्हें कैबिनेट रैंक मिलेगा. INDIA अलायंस में सहयोगियों के साथ बेहतर तालमेल बिठाने में मदद मिलेगी. लोकसभा में BJP पर विपक्ष के हमले का नेतृत्व करके कांग्रेस को भी एक मजबूत चेहरा मिलेगा.

"कांग्रेस को इतनी सीट कैसे आई, इसकी जांच हो" : राहुल गांधी के ईवीएम पर सवाल उठाने पर रामदास आठवले

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मिला था जबरदस्त रिस्पॉन्स
राहुल गांधी ने पिछले साल भारत जोड़ो यात्रा निकाली थी. जिसे लेकर जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला था. इसी साल 14 जनवरी से 18 मार्च तक राहुल गांधी ने इस यात्रा का सेकेंड एडिशन 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' निकाली. इस यात्रा के दौरान राहुल लोगों से जमीनी स्तर पर जुड़ें. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला. इस बार कांग्रेस ने 99 सीटें जीतीं. जबकि 2014 में उसे 44 सीटें और 2019 में 52 सीटें मिली थीं.

'लीडर ऑफ अपोजिशन इन पॉर्लियामेंट एक्ट-1977' के मुताबिक, संसद में विपक्ष के नेता का मतलब है, राज्यसभा या लोकसभा में विपक्ष के सबसे बड़े दल का नेता, जिसे राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष मान्यता देते हैं. अगर विपक्ष में दो या ज्यादा पार्टियों के नंबर एक जैसे हों, तो सभापति या अध्यक्ष पार्टी की स्थिति के आधार पर फैसला लेते हैं.

कितना अहम होता है लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष का पद?
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद काफी अहम माना जाता है. नेता प्रतिपक्ष विपक्ष का चेहरा होने के साथ अहम कमेटियों में शामिल होते हैं. वे CBI-ED के अलावा केंद्रीय जांच एजेसियों के डायरेक्टर चुनने की प्रोसेस में भी शामिल होते हैं. इसके अलावा सेंट्रल विजिलेंस कमीशन, सूचना आयुक्त और लोकपाल की नियुक्ति में नेता प्रतिपक्ष की राय ली जाती है. नेता प्रतिपक्ष के पास शैडो कैबिनेट भी होती है, ताकि अगर सरकार गिर जाए तो विपक्ष के पास सभी पद संभालने वाले लीडर पहले से तैयार हों. 

एक्सप्लेनरः मुंबई नॉर्थ ईस्ट सीट : 48 वोट, EVM, मोबाइल, OTP वाला मामला क्या है, पूरी बात समझिए

केंद्रीय मंत्री के बराबर मिलती है सैलरी
नेता प्रतिपक्ष को कैबिनेट मंत्री के बराबर सैलरी, भत्ते और बाकी सुविधाएं मिलती हैं. उन्हें कैबिनेट मंत्री की तरह सरकारी बंगला, ड्राइवर सहित कार और 14 लोगों का स्टाफ भी मिलता है.

क्या INDIA अलायंस से भी हो सकता है नेता प्रतिपक्ष?
इस चुनाव में BJP और कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिली हैं. अखिलेश यादव की पार्टी के लोकसभा में 37 सांसद हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस के अलावा किसी और विपक्षी दल से लीडर ऑफ अपोजिशन बन सकता है?

पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर कांग्रेस इस पद को स्वीकार नहीं करती है, तो फिर ये खाली ही रहेगा. क्योंकि एक्ट के मुताबिक, कोई और पार्टी इस पर दावा नहीं कर सकती. क्योंकि INDIA अलायंस में किसी भी पार्टी को 10 फीसदी सीट नहीं मिला है.

विपक्ष के मिल सकता है डिप्टी स्पीकर का पद
वहीं, डिप्टी स्पीकर का पद भी विपक्ष को देने की परंपरा है. 16वीं लोकसभा में NDA में शामिल रहे अन्नाद्रमुक के थंबीदुरई को यह पद दिया गया था. जबकि, 17वीं लोकसभा में किसी को भी डिप्टी स्पीकर नहीं बनाया गया था. 18वीं लोकसभा में INDIA अलायंस को डिप्टी स्पीकर का पद मिलने की उम्मीद है.

उत्तर-पश्चिम मुंबई सीट के नतीजे पर EC का जवाब, विपक्ष ने कहा- और बढ़ा कन्फ्यूजन; HC जाने पर विचार

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com