हार्दिक पटेल ने NDTV के साथ बातचीत मे विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे
गुजरात से पाटीदार समाज के कद्दावर नेता हार्दिक पटेल ने इन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया है कि वे कांग्रेस छोड़ रहे हं. गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक ने कहा कि अफवाहें राजनीति का हिस्सा हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि राज्य के पार्टी से जुड़े मामलों में उनकी आवाज को सुना जाएगा. NDTV से बातचीत करते हुए हुए हार्दिक ने सभी मुद्दों पर खुलकर बात की. ट्वटिर पर प्रोफाइल में वर्किंग प्रेसीडेंट की जगह 'प्राउड इंडियन पेट्रियॉट, सोशल एंड पॉलिटिकल एक्टिविस्ट, कमिटेड टू बेटर इंडिया' लिखे जाने को पार्टी से नाराजगी से जोड़े जाने संबंधी सवाल पर हार्दिक ने कहा, 'मेरा ये मानना है कि मैंने क्या लिखा है, इसके बजाय क्या देश पर चर्चा नहीं होनी चाहिए? कांग्रेस पार्टी का कार्यकर्ता हूं, वो हूं.'
पिछले दिनों आपकी पार्टी से नाराजगी की चर्चाएं आई थीं, इस सवाल पर हार्दिक ने कहा, 'कई बार अपने लोग चलवा देते हैं और फायदा आप जानते हैं कि मीडिया में बहुत जोरों से चलती हैं. अभी तो हम पार्टी के लिए लगातार काम कर रहे हैं. लगातार पार्टी के लिए गांव-गांव घूम रहे हैं. लगातार लोगों के बीच में एक नई उम्मीद पैदा करने और उस उम्मीद पर खरा उतरने का जो प्रयास हमारी ओर से होना चाहिए, वो काम हम कर रहे हैं.'यह पूछे जाने पर कि राहुल गांधी आए, आपने मंच साझा किया. ट्राइबल समाज के लिए रैली की. हार्दिेक ने कहा, 'आदिवासी समाज हमेशा से कांग्रेस के साथ रहा है. जब भी आदिवासी समाज में रैली करने जाते है तो काफी संख्या में लोग आते हैं. आदिवासी समाज कांग्रेस के साथ रहा है. उन्होंने कहा कि राहुलजी काफी व्यस्त हैं, उनसे बातचीत नहीं हो पाई है, जब वो फ्री होंगे तो गुजरात के मुद्दे पर बात होगी.हम राजनीति में राहुलजी के ही भरोसे आए हैं, हमें भरोसा है कि वे हमें प्रोटेक्ट करेंगे. '
पाटीदार समाज के इस नेता ने कहा कि हमने तो कोई पद लेने के लिए कभी बात नहीं की. हमने तो कहा कि हमारे पास जो पद है, आप ले लीजिए, हमको तो काम दीजिए. ऐसा काम दीजिए जिसमें हम गुजरात में एक नई उम्मीद कायम कर सके. ये हकीकत है कि आज तक हमने पार्टी से कुछ फायदा नहीं लिया. हमारे पास जो भी था, पूरी ईमानदारी से पार्टी के पास या पार्टी को देने का काम किया है. हार्दिक ने कहा, 'मेरा कहना यह है कि आप मुझे कार्यकारी अध्यक्ष न भी रखें तो दिक्कत नहीं लेकिन मेरी जिम्मेदारी तय कीजिए. छोटीमोटी चिंताएं होती रहती हैं. यह एक परिवार जब होता है तो बातचीत होती रहती है, रूठना-मनाना चलता है. भरोसा है कि जिस उम्मीद के साथ हम आए थे, उस उम्मीद में हम खरे उतरेंगे. सीनियर और जूनियर लीडरशिप, दोनों का सही तरह से उपयोग करना जरूरी है.'
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