लोकसभा चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट (Loksabha Elections 2024) न मिलने से महाराष्ट्र कांग्रेस नेता की नाराजगी सामने आई है. मोहम्मद आरिफ 'नसीम' खान ने राज्य में किसी (Congress Leader Arif Naseem Khan) भी मुस्लिम नेता को टिकट न देने पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस की अभियान समिति से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने पार्टी प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखकर कहा कि वह लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार नहीं करेंगे, क्योंकि विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गुट ने कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है.
पूर्व राज्य मंत्री ने लिखा, "महाराष्ट्र की कुल 48 लोकसभा सीटों में से एमवीए ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को नॉमिनेट नहीं किया है." उन्होंने कहा कि पूरे महाराष्ट्र के कई मुस्लिम संगठन, नेता और पार्टी कार्यकर्ता उम्मीद जता रहे थे कि कांग्रेस अल्पसंख्यक समुदाय से कम से कम एक उम्मीदवार को जरूर नामांकित करेगी, लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ."
"कांग्रेस को मुस्लिम उम्मीदवार नहीं चाहिए"
मोहम्मद आरिफ 'नसीम' खान ने कहा कि सभी पार्टी नेता और कार्यकर्ता अब उनसे पूछ रहे हैं, "कांग्रेस को मुस्लिम वोट चाहिए, उम्मीदवार क्यों नहीं." उन्होंने खरगे को लिखी चिट्ठी में कहा, "इन सभी वजहों से मैं मुसलमानों का सामना नहीं कर पाऊंगा और मेरे पास कोई जवाब नहीं है." उन्होंने कहा कि इसी वजह से वह महाराष्ट्र कांग्रेस अभियान समिति से भी इस्तीफा दे रहे हैं.
कांग्रेस महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 17 पर शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. दोनों ही विपक्षी गुट महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा हैं. बता दें कि मोहम्मद आरिफ खान मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से टिकट की दौड़ में थे, लेकिन पार्टी ने इस निर्वाचन क्षेत्र के लिए शहर यूनिट प्रेसिडेंट वर्षा गायकवाड़ को मौका दे दिया. आरिफ ने 2019 का विधानसभा चुनाव मुंबई के चांदीवली से लड़ा था, जहां वह 409 वोटों से हार गए थे.
"अपनी विचारधारा से भटक रही कांग्रेस"
आरिफ 'नसीम' खान ने पीटीआई से बात करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कांग्रेस समावेशिता की अपनी लंबे समय से चली आ रही विचारधारा से भटक गई है. सीनियर कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके पास अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों और इन सामाजिक समूहों के पार्टी कार्यकर्ताओं के फोन आए, जिसमें पूछा गया कि कांग्रेस ने महाराष्ट्र में चुनाव के लिए टिकट देते समय उन्हें नजरअंदाज क्यों किया. नाराज आरिफ का कहना है कि वह इस सवाल का सामना नहीं कर सकते कि अल्पसंख्यक समूहों के साथ अन्याय क्यों किया गया है. पार्टी अपनी समावेशी विचारधारा और सभी समुदायों को प्रतिनिधित्व देने से भटक गई है.
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