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This Article is From Apr 14, 2023

पायलट-गहलोत विवाद खत्म करने के लिए कांग्रेस हाईकमान को कमलनाथ से उम्मीद : सूत्र

सूत्रों ने कहा कि कमलनाथ ने गुरुवार को दिल्ली में सचिन पायलट और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की और अशोक गहलोत के साथ मतभेदों को सुलझाने के तरीकों पर चर्चा की

पायलट-गहलोत विवाद खत्म करने के लिए कांग्रेस हाईकमान को कमलनाथ से उम्मीद : सूत्र
सचिन पायलट ने राजस्थान की पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ एक दिन का अनशन किया था.
नई दिल्ली:

राजस्थान में पंजाब जैसी पराजय को टालने के लिए कांग्रेस नेतृत्व वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मध्यस्थता के जरिए अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच विवाद खत्म किए जाने की उम्मीद कर रहा है. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि कमलनाथ ने गुरुवार को दिल्ली में पायलट और पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की और दोनों गुटों के बीच मतभेदों को सुलझाने के तरीकों पर चर्चा की.

पहले भी सचिन पायलट से कमलनाथ बात करते रहे हैं. बताया जाता है कि कांग्रेस हाईकमान की ओर से अनुशासन को लेकर कार्रवाई कुछ दिनों तक टाल दी गई है. कांग्रेस अध्यक्ष फिलहाल बाहर हैं. सूत्रों के अनुसार कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष तक अपनी बात पहुंचा दी है. इस मामले में बिना गांधी परिवार की सलाह के कोई भी फैसला नहीं लिया जाएगा.सचिन पायलट ने भी अपनी बात कांग्रेस नेताओं के सामने रखी है.

पायलट ने राजस्थान की पिछली भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ इस सप्ताह एक दिन का अनशन किया था. उन्होंने वसुंधरा राजे पर आरोप लगाते हुए अपनी ही पार्टी की सरकार को निष्क्रिय बताया था. इसे अशोक गहलोत को एक सीधी चुनौती के रूप में देखा गया. इसे इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सचिन पायलट द्वारा खुद को भविष्य में एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए उठाए गए कदम के रूप में भी देखा गया. 

कांग्रेस नेतृत्व ने शुरुआत में अशोक गहलोत का समर्थन किया था और पायलट के उपवास को “पार्टी विरोधी गतिविधि” बताया था. पार्टी नेतृत्व ने अब अपना रुख बदल दिया है और बीच का रास्ता निकालने की कोशिश कर रहा है. सूत्रों ने कहा कि पायलट ने कमलनाथ और वेणुगोपाल को अपनी शिकायतों से अवगत कराया और पार्टी से उचित व्यवहार अपनाने की मांग की.

कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार पायलट ने भी वसुंधरा राजे के खिलाफ अपने अनशन के बचाव में कहा कि यह पार्टी विरोधी नहीं था और वे जनहित के मुद्दों को उठा रहे थे. उन्होंने तर्क दिया कि पार्टी में दोहरा मापदंड अपनाया गया. जब अन्य नेता कथित विफलताओं के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना करते हैं तो फिर वसुंधरा की क्यों नहीं.

राजस्थान के नवनियुक्त प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और वरिष्ठ नेता जयराम रमेश द्वारा जारी किए गए बयानों से कांग्रेस नेतृत्व भी कथित तौर पर नाखुश है. नेतृत्व ने पायलट के उपवास को "पार्टी विरोधी गतिविधि" कहने वाले बयान की समीक्षा की थी. रंधावा, जिन्हें गहलोत के करीबी के रूप में देखा जाता है, द्वारा अचानक मामले को संभालने से पार्टी के भीतर कई लोग परेशान हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की है और वे चाहते हैं कि सभी पक्ष इस विवाद को खत्म करें, खासकर तब जब पार्टी कर्नाटक में एक महत्वपूर्ण चुनाव लड़ रही है. सूत्रों ने कहा कि पार्टी गहलोत की कमजोरी और राज्य में उनकी सरकार के खिलाफ भारी सत्ता विरोधी लहर से भी वाकिफ है.

कमलनाथ ने पिछले कुछ दिनों में कई बैठकें की हैं. वे दोनों पक्षों को शांत करने और एक ऐसा समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं जिससे संकट पैदा न हो. पायलट के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्हें एक परे धकेला जा रहा है. जिस तरह से नए राज्य प्रभारी ने राजस्थान में मुद्दों और चिंताओं को समझे बिना पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण अपना लिया है उससे पायलट परेशान हैं.

फिलहाल पार्टी किसी भी निर्णय को टाल रही है और यह देखने की कोशिश कर रही है कि क्या बातचीत से सुलह कराई जाए ताकि राज्य में आने वाले चुनावों तक शांति बनी रहे.

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