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⁠बच्चों को कहीं से भी ढूंढकर लाए... बच्चों की तस्करी पर दिल्ली पुलिस से सख्त लहजे में सुप्रीम कोर्ट

⁠पीठ ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली के भीतर और बाहर एक बड़ा गिरोह खतरनाक तरीके से काम कर रहा है और तस्करी किए गए शिशुओं और बच्चों को विभिन्न राज्यों में 5,00,000/- से लेकर 10,00,000/- रुपये तक में बेच रहा है.

⁠बच्चों को कहीं से भी ढूंढकर लाए... बच्चों की तस्करी पर दिल्ली पुलिस से सख्त लहजे में सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में नवजात बच्चों की तस्करी के बढ़ते मामलों पर सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई है. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई की और स्पष्ट निर्देश दिए कि बच्चों को खरीदने-बेचने वाले गिरोहों को जड़ से खत्म करना होगा. कोर्ट ने कहा कि ये गिरोह समाज के लिए बड़ा खतरा हैं और सबसे खतरनाक तरीके से काम करते हैं.

दिल्ली पुलिस को सख्त आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को छह गायब बच्चों का पता लगाने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा, "दिल्ली पुलिस बच्चों को कहीं से भी ढूंढकर लाए. " साथ ही, जांच अधिकारी को कार्ययोजना की रूपरेखा के साथ कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह भी पूछा, "आपकी कार्यवाही कैसी चल रही है?" और बाल तस्करी रैकेट के सरगना या उनके रिश्तेदारों को पकड़ने का आदेश दिया.

दिल्ली में बच्चों के अपहरण और खरीद फरोख्त के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजा अपनाया.  सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि कोई किसी व्यक्ति का हत्या करता है तो उसके पीछे कोई वजह होती है. एक हत्या के बाद वह दूसरी हत्या नहीं करता. लेकिन जो बच्चों को किडनैप करके बेचते हैं, वो बार बार यह अपराध करते हैं. ये ज्यादा खतरनाक हैं. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि कुछ बच्चे ऐसे है जो चोरी नहीं किए गए है बल्कि उनके पेरेंटस ने बेचा है 

कोर्ट ने कहा कि बच्चे को बेचने वाले और खरीदने वाले दोनो अपराधी है. कोर्ट ने कहा कि अगर बच्चे मिल जाते हैं और उनके बच्चे उन्हे वापस रखने को तैयार नहीं है तो जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

नवजात बच्चों की तस्करी पर गंभीर चिंता

जस्टिस जेबी पारदीवाला ने दिल्ली में बच्चों को खरीदने और बेचने वाले गिरोहों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह बहुत चौंकाने वाला है. पीठ ने अपने फैसले में कहा, "दिल्ली के भीतर और बाहर एक बड़ा गिरोह खतरनाक तरीके से काम कर रहा है, जो तस्करी किए गए शिशुओं और बच्चों को विभिन्न राज्यों में 5 से 10 लाख रुपये तक में बेच रहा है." कोर्ट ने नवजात बच्चों को बेचने और खरीदने वालों को जवाबदेह बनाने की बात कही.

आदतन अपराधियों पर नकेल

रिपोर्टिंग के आधार पर कोर्ट ने बताया कि गिरफ्तार किए गए कुछ आरोपी आदतन अपराधी हैं. मानव तस्करी के एक अन्य मामले में सीबीआई द्वारा पहले गिरफ्तार की गई एक महिला भी इस घटना में शामिल बताई जा रही है.

उत्तर प्रदेश के मामले में भी कार्रवाई

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बाल तस्करी से जुड़े 13 आरोपियों की जमानत रद्द कर दी. कोर्ट ने इस मामले में भी सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रुख बाल तस्करी के खिलाफ एक मजबूत संदेश देता है, और दिल्ली पुलिस पर इस जघन्य अपराध को रोकने की बड़ी जिम्मेदारी डालता है.

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