
- दिल्ली पुलिस ने एक अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगी और जबरन वसूली करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है.
- आरोपियों ने थाईलैंड से व्हाट्सएप कॉल कर पैसे मांगे थे और ना देने पर जान से मारने की धमकी दी थी.
- गिरोह के सदस्यों में से एक लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से मास्टर डिग्री धारक भी शामिल है.
दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो लोगों से साइबर ठगी और पैसे की उगाही करता था. कमाल की बात ये है कि इस गिरोह का एक सदस्य लंदन से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएट भी है. पुलिस के अनुसार इन आरोपियों ने पिछले दिनों को थाईलैंड से फोन किया और उनसे लाखों की उगाही करने की कोशिश की. पुलिस फिलहाल आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के दूसरे सदस्यों को भी गिरफ्तार करने की कोशिशों में जुटी है.
पुलिस की जांच में पता चला है कि तीनों लोगों ने कथित तौर पर थाईलैंड से व्हाट्सएप कॉल के जरिए एक व्यवसायी से पैसे ऐंठने की कोशिश की. उन्होंने उनसे क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से पैसे ट्रांसफर करने की मांग की और इनकार करने पर उनके बच्चों को जान से मारने की धमकी दी. पुलिस ने आरोपियों की पहचान दिल्ली निवासी 42 वर्षीय सुमित, 35 वर्षीय प्रिंस और 31 वर्षीय नीतीश के रूप में की है. नीतीश के पास लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (एलएसई) से मास्टर डिग्री है, जबकि सुमित बीकॉम ग्रेजुएट हैं. प्रिंस ने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की थी.
आपको बता दें कि कारोबारी ने धमकी मिलने के बाद डीबीजी रोड थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद पुलिस ने अपनी जांच शुरू की. साइबर जांच टीम ने आरोपियों पर नजर रखना शुरू कर दिया था. अपनी शिकायत में उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें व्हाट्सएप पर एक अंतरराष्ट्रीय कॉल आई थी और कॉल करने वाले ने खुद को एक कुख्यात गैंगस्टर के रूप में पेश किया.कारोबारी ने पुलिस को बताया कि फोन करने वाले ने एक क्रिप्टो क्यूआर कोड भेजा और पैसे जमा करने के लिए कहा. उन्होंने बताया कि अगर उन्होंने उनकी बात नहीं मानी तो फोन करने वाले ने उनके बच्चों को गोली मारकर हत्या करने की धमकी दी.
पुलिस ने तुरंत जबरन वसूली का मामला दर्ज किया और साइबर पुलिस के साथ अपनी जांच शुरू की. तकनीकी टीम ने उन्नत साइबर उपकरणों के साथ व्हाट्सएप कॉल और क्यूआर कोड की जांच की, और लेनदेन का स्रोत थाईलैंड में पाया गया.क्रिप्टो मनी ट्रेल को भी ट्रैक किया गया था. इस बीच दूसरी टीम ने दिल्ली में आरोपियों के ठिकानों पर नजर रखी. जैसे ही वे थाईलैंड से भारत लौटे, उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.
पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने खुलासा किया कि वे भारी कर्ज में डूबे हुए थे और अपने कर्ज को चुकाने के आसान तरीके के रूप में जबरन वसूली की योजना बनाई. सुमित, जो पीड़ित को जानता था, ने लक्ष्य चुना और उसे डराने के लिए एक गैंगस्टर के नाम का इस्तेमाल किया. पकड़े जाने से बचने के लिए तीनों आरोपी थाईलैंड चले गए. उन्होंने वहां से अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड खरीदे और जबरन वसूली के लिए व्हाट्सएप कॉल किए. क्यूआर कोड बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल फोन और जिस फोन से कॉल किया गया था, उसे बरामद कर लिया गया है.
सेंट्रल दिल्ली पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) निधान वाल्सन ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि कर्ज और लालच व्यक्ति को गलत रास्ते पर ले जा सकता है. आरोपी चाहे कितना भी चालाक होने का दिखावा करे, दिल्ली पुलिस की साइबर टीम तकनीक के जरिए हर अपराधी तक पहुंचने में सक्षम है.
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