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This Article is From Nov 21, 2022

'जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी' फॉर्मूले पर छत्तीसगढ़ सरकार!, दे सकती है 82% आरक्षण

सूत्रों के मुताबिक सरकार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दे सकती है. जिसके बाद अनुसूचित जनजाति को 32% , अनुसूचित जाति को 13% और ओबीसी को 27% वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों का 10% आरक्षण मिल सकता है.

'जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी' फॉर्मूले पर छत्तीसगढ़ सरकार!, दे सकती है 82% आरक्षण
24 नवम्बर को सरकार की कैबिनेट बैठक
रायपुर:

किसी वक्त में छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा आरक्षण का प्रावधान था लेकिन फिलहाल वो देश का इकलौता ऐसा राज्य है. जहां आरक्षण रोस्टर लागू नहीं है. इसी मसले को लेकर छात्र आंदोलित हैं, नौकरी-शैक्षणिक संस्थानों में भर्ती सब रूक गई. सरकार विपक्ष को और विपक्ष सरकार को दोषी ठहरा में लगे हैं. मुख्यमंत्री आश्वासन दे रहे हैं कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा. 24 नवम्बर को होने वाली राज्य कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिल जाए, इसके साथ ही विधानसभा से एक संकल्प पारित कराया जा सकता है. जिससे छत्तीसगढ़ के आरक्षण कानून को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल करने का केन्द्र से अनुरोध किया जाए. नये विधेयक के आने के बाद राज्य में आरक्षण की सीमा 80 फीसद से ज्यादा हो सकती है.

छत्तीसगढ़ में इसी मसले पर कहीं चक्का जाम किया जा रहा है तो कहीं धरना दिया जा रहा है. असल में छत्तीसगढ़ देश का अकेला ऐसा राज्य है, जहां पिछले दो महीने से लोक सेवाओं और शैक्षणिक संस्थाओं में आरक्षण का नियम और रोस्टर ही लागू नहीं है. हाईकोर्ट ने आरक्षण की व्यवस्था को असंवैधानिक बताया. जिसके बाद से राज्य में आरक्षण से संबंधित नियम और रोस्टर सक्रिय लागू ही नहीं है. रायपुर के ऋषभ मान्द्लेकर पीईटी पास कर चुके हैं. उन्हें अपनी बात रखने में उन्हें थोड़ी दिक्कत होती है, लेकिन दाखिले की खबर का इंतजार कर रहे हैं. अब घरवाले भी परेशान हैं. छात्र ऋषभ ने कहा कि मैं Pet पास आउट है कॉलेज में एडमिशन के लिए काउंसलिंग भी हो गई लेकिन सीट आवंटित नहीं हुई है जिससे फ्यूचर खराब हो जाएगा.

ऋषभ की मां भूमिका मांडलेकरकर ने कहा कि मेरा बेटा pwd स्टूडेंट है उसे पहले से दिक्कत है उसका तो पूरा साल खराब हो सकता है. शिवज्ञा शिक्षक बनना चाहती है, बीएड की प्रवेश परीक्षा पास कर चुकी हैं, पहली काउंसलिंग में पसंद का कॉलेज नहीं मिला, अब आरक्षण रुकने की वजह से कॉलेज ही नहीं मिल रहा है. शिवज्ञा ने कहा कि काउंसलिंग हाई कोर्ट के फैसले के बाद रोक दी गई है हम वेट कर रहे है फर्स्ट सेमेस्टर का आधा कोर्स हो गया है, दो महीने से ज्यादा हो जल्द से जल्द डिसिशन आ जाये. रायपुर पॉलीटेकनिक कॉलेज के काउंसलिंग इंचार्ज ने बताया फर्स्ट काउंसलिंग हो चुकी है, लेकिन शासन के निर्देश पर आगे की कार्रवाई रोक दी गई है.

काउंसलिंग  इन्चार्ज ने कहा कि डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन हो चुका है. लेकिन आरक्षण की वजह से अलॉटमेंट रुका हुआ है जिस कारण से उनका एडमिशन रुका हुआ है जैसे ही शासन के द्वारा निर्देश मिलेंगे उस पर आगे कार्रवाई होगी. आरक्षण लागू नहीं होने से राज्य इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्निक, एमसीए की तकरीबन 23 हज़ार,  बीएड की 14 हज़ार सीट में एडमिशन रूक गया है. राज्य लोक सेवा आयोग की भर्तियां और उनके परिणाम रोक दिए गए हैं. 12 हज़ार शिक्षकों की भर्ती समेत कई पदों की अधिसूचना रोक दी गई है. लगभग एक हज़ार रिक्त पदों के लिए सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा स्थगित कर दी गई.  आदिवासियों के आरक्षण ख़त्म होने पर सर्व आदिवासी समाज आन्दोलन कर रहा है हाई कोर्ट में सरकार द्वारा कमजोर पक्ष रखने को जिम्मेदार मान रहा है, बीजेपी भी सरकार पर हमलावर है, वहीं सरकार का कहना है 1-2 दिसंबर को सदन का विशेष सत्र बुलाकर समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा.

छत्तीसगढ़ में आरक्षण के विषय पर अजीब स्थिति पैदा हो गई है कॉलेज में एडमिशन रुक गए है. भर्ती फ़िलहाल स्थगित है. जिससे आवेदक बेहद परेशान है बहरहाल सरकार का दावा है कि विधानसभा के विशेष सत्र में सब कुछ ठीक हो जायेगा. इस मामले में सीएम भूपेश बघेल का कहना है कि सब बहुत जल्द हो जायेगा. सूत्रों के मुताबिक सरकार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दे सकती है. जिसके बाद अनुसूचित जनजाति को 32% , अनुसूचित जाति को 13% और ओबीसी को 27% वहीं सामान्य वर्ग के गरीबों का 10% आरक्षण मिलेगा. बीजेपी के कार्यकाल में रमन सिंह की सरकार ने आरक्षण का दायरा 50 फ़ीसदी से बढ़ा कर 58 फ़ीसदी कर दिया था. साल 2018 में भूपेश बघेल की सरकार ने 15 अगस्त 2019 को नई आरक्षण व्यवस्था लागू करने की घोषणा की.

जिसके बाद छत्तीसगढ़ मेंआरक्षण का दायरा 82 फ़ीसदी तक जा पहुंचा. भूपेश बघेल की सरकार के इस फ़ैसले को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और हाईकोर्ट ने इस आरक्षण व्यवस्था पर रोक लगा दी. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने, रमन सिंह सरकार द्वारा लागू आरक्षण व्यवस्था को बिना ठोस आधार के लागू करने और 50 फ़ीसदी आरक्षण के दायरे से अधिक आरक्षण देने को आधार बताते हुए, 2012 की आरक्षण की व्यवस्था को रद्द कर दिया, और तब से राज्य में पूरी आरक्षण व्यवस्था की खत्म हो गई है. ऐसे में सबको इंतजार है कि सरकार जल्दी कुछ करे, इसी के मद्देनजर नये आरक्षण संशोधन को नौंवी अनुसूची में शामिल करने का संकल्प पारित हो सकता है.

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