हाल ही में लीक हुए ऑडियो और वीडियो टेप को तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने विधायकों को 'खरीदने' के कथित प्रयासों पर एक स्टिंग ऑपरेशन करार दिया था. चंद्रशेखर राव ने आरोप लगाया था कि उनकी सरकार को अस्थिर करने के लिए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के विधायकों की ‘‘खरीद-फरोख्त'' की जा रही है. इस मामले के आरोपियों ने भाजपा महासचिव बीएल संतोष और पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं का नाम लिया है. जो टेप सार्वजनिक हैं, उनमें भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से आरोपियों के लिंक के लिए कोई वॉयस, ईमेल आईडी या कोई अन्य पहचान नहीं है.
हालांकि, टीआरएस विधायकों की कथित खरीद-फरोख्त की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) के सूत्रों ने संकेत दिया है कि उनके पास एक लाख पन्नों तक के दस्तावेजों के रूप में 'सबूत' हैं. एनडीटीवी को बताया गया कि एसआईटी को अपने निष्कर्षों को गोपनीय रखने के लिए कहा गया है, इसलिए जांचकर्ता अधिक खुलासा नहीं कर सकते हैं. एसआईटी ने 16 नवंबर को बीजेपी के वरिष्ठ नेता को नोटिस जारी किया था, जिसमें उन्हें 21 नवंबर को सुबह 10:30 बजे पेश होने के लिए कहा गया था. हालांकि बीएल संतोष एसआईटी के सामने पेश नहीं होंगे.
बीजेपी सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि बीएल संतोष को वह नोटिस नहीं मिला था, जो दिल्ली पुलिस के जरिए दिया जाना था, क्योंकि वह दिल्ली में नहीं हैं.
भाजपा इससे पहले 18 नवंबर को अदालत गई थी और आरोप लगाया था कि एसआईटी द्वारा मनमाने और अवैध नोटिस जारी किए जा रहे हैं. कोर्ट ने इस बात को नहीं माना लेकिन निर्देश दिया कि बीएल संतोष को पुलिस यहां गिरफ्तार नहीं करेगी. अदालत ने कहा, एसआईटी धारा 41 के तहत नोटिस दे सकती है, इसलिए संतोष को एसआईटी के सामने पेश होना चाहिए, लेकिन उनकी गिरफ्तारी पर प्रतिबंध है.
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