विज्ञापन
This Article is From Dec 04, 2023

"आदिवासी वोट स्थानांतरित हो गया है,लेकिन...", छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार पर कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव

राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर और सरगुजा जिलों की 26 सीटों में से, कांग्रेस बस्तर से केवल चार और सरगुजा में एक भी सीट नहीं जीत पायी.

"आदिवासी वोट स्थानांतरित हो गया है,लेकिन...", छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की हार पर कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव
नई दिल्ली:

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh assembly elections) में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है. तमाम एग्जिट पोल में यह अनुमान लगाया गया था की कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में जीत मिलेगी लेकिन अनुमान के विपरीत बीजेपी को जीत मिल गयी. हार के बाद एनडीटीवी से बात करते हुए छत्तीसगढ़ के पूर्व उप मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव (Congress leader TS Singh Deo) ने आदिवासी मतों के बीजेपी की तरफ शिफ्ट होने को हार का अहम कारण बताया.  उन्होंने यह भी दलील दी कि कांग्रेस का प्रदर्शन खराब नहीं था, बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहा.

आदिवासी बहुल क्षेत्रों में बीजेपी का शानदार प्रदर्शन

राज्य के आदिवासी बहुल बस्तर और सरगुजा जिलों की 26 सीटों में से, कांग्रेस ने बस्तर से केवल चार और सरगुजा में एक भी सीट नहीं जीत पायी. 2018 के विधानसभा चुनावों में 25 एसटी-आरक्षित सीटें जीतने वाली कांग्रेस इस बार सिर्फ 11 सीटें हासिल कर पाई.  भाजपा ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग के लिए आरक्षित 29 सीटों में से 2018 में मात्र तीन सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं 2023 के चुनाव में आंकड़ा बढ़कर 17 तक पहुंच गया. कुल मिलाकर, पार्टी ने राज्य की 90 सीटों में से 54 पर जीत हासिल की है, कांग्रेस को केवल 35 सीटें मिलीं, जो 2018 में मिली 68 सीटों से बेहद कम है. 

"हम बहुत कम मतों से चुनाव हारे हैं"

आदिवासी क्षेत्रों में पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर, देव ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि आदिवासी वोट स्थानांतरित हो गया है". लेकिन ये उतना भी नहीं है. एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में उन्होंने एनडीटीवी को बताया, "एक सीट हम 14 वोटों से हारे, एक सीट 100 से 200 वोटों से हारे, एक सीट 94 वोटों से हारे. मार्जिन बहुत ज्यादा नहीं है. मुझे नहीं लगता कि कोई बदलाव हुआ है. वह इस बात से भी असहमत थे कि विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के लिए प्रधान मंत्री की ₹ 24,000 करोड़ की योजना का इस बदलाव से बहुत लेना-देना है. 

"बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया"

उन्होंने तर्क दिया कि भाजपा ने महिलाओं के लिए एक बेहतर कार्यक्रम तैयार किया है जो काम कर गया है. उन्होंने कहा, "हम सर्व-आदिवासी समाज को भी एक साथ नहीं रख सके. उन्होंने अलग होकर एक राजनीतिक पार्टी बनाई और चुनाव लड़ा."दोनों पार्टियों के वोट शेयर का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी तर्क दिया कि कांग्रेस का प्रदर्शन खराब नहीं था, बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है. 

सुकमा गोलीकांड से नाराज थे आदिवासी

पिछले कुछ वर्षों से छत्तीसगढ़ में आदिवासी नाखुश हैं, यह तेंदू पत्तियों और अन्य छोटे वन उत्पादों की कीमत पर विरोध प्रदर्शनों की मात्रा से स्पष्ट है. तेंदू के पत्ते या "हरा सोना" आदिवासियों के लिए आय का सबसे बड़ा स्रोत हैं. मई 2021 में सुकमा जिले में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में चार लोगों की मौत हो गई थी. 46 लोग घायल हो गए थे. एक गर्भवती महिला की अस्पताल में मौत हो गई थी. जैसे मंदसौर में पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत के बाद किसानों का वोट कांग्रेस की तरफ गया तो आदिवासियों का वोट इस बार बीजेपी की तरफ हो गया. भाजपा के जमीनी स्तर के अभियान से भी मदद मिली, जिसने बस्तर के माओवादी प्रभुत्व वाले इलाकों में प्रवेश किया, जहां बाहरी लोग जाने से डरते थे.

फिर, चुनाव से कुछ दिन पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक रणनीतिक घोषणा की, जिसमें पड़ोसी राज्य झारखंड के विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों के लिए 24,000 करोड़ रुपये की योजना शुरू की गई.

ये भी पढ़ें-:

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com