हिमाचल चुनाव : बीजेपी के लिए बागी और OPS का मुद्दा चुनौती, कांग्रेस में लीडरशिप का संकट

इन चुनावों को भारतीय जनता पार्टी (BJP) अध्‍यक्ष जेपी नड्डा की साख से जुड़ा माना जा रहा है क्‍योंकि हिमाचल उनका गृह प्रदेश है.

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनाव प्रचार गुरुवार शाम को खत्‍म हो गया. राज्‍य के चुनाव में सत्‍तारूढ़ बीजेपी को कांग्रेस पार्टी से कठिन चुनौती मिलने की संभावना है. राज्‍य में एक ही चरण में 12 नवंबर को वोट पड़ने हैं. चुनावों को भारतीय जनता पार्टी (BJP) अध्‍यक्ष जेपी नड्डा की साख से जुड़ा माना जा रहा है क्‍योंकि हिमाचल उनका गृहप्रदेश है. वोटिंग से पहले NDTV ने राज्‍य का चुनावी मिजाज जानने के लिए कांग्रेस और बीजेपी प्रवक्‍ता के अलावा चुनाव पर नजर जमाए पत्रकारों से बातचीत की. जानकारों की माने तो बागी प्रत्‍याशी, बेरोजगारी, वन पेंशन स्‍कीम (ओपीएस) और सेव किसानों के मुद्दे सत्‍तारूढ़ बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बन सकते हैं. 

बागी प्रत्‍याशी इस चुनाव में बीजेपी के लिए परेशानी का कारण बन रहे हैं. कुछ बागी प्रत्‍याशियों को मनाने के लिए तो खुद पीएम मोदी को फोन करके अपील करने पड़ी. बागियों और पीएम की अपील से जुड़े सवाल पर बीजेपी प्रवक्‍ता जास्‍मीन ने कहा, "पीएम हमारे स्‍टेट्समैन हैं और उन्‍होंने मान देते हुए फोन किया. बागी हर जगह होते हैं. टिकट वितरण को लेकर उन्‍होंने कहा कि हमने सर्वे के हिसाब से टिकट में बदलाव किया है और इस बात का पूरा विश्‍वास है कि हम फिर राज्‍य में जीतेंगे. "क्‍या यह चुनाव अध्‍यक्ष जेपी नड्डा के लिए साख का सवाल बन गए हैं..इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्‍ता ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. यह सही है कि हिमाचल उनका गृह प्रदेश है लेकिन यह चुनाव उनके लिए साख का सवाल नहीं है. बीजेपी अध्‍यक्ष होने के नाते वे हर जगह प्रचार करते हैं, हिमाचल में भी प्रचार किया है. इससे पहले यूपी और उत्‍तराखंड में भी उन्‍होंने ऐसा किया है.कांग्रेस प्रवक्‍ता नरेश का मानना है कि इस बार माहौल कांग्रेस के पक्ष में है. उन्‍होंने कहा, "हिमाचल की जनता और वोटर जागरूक है. बदलाव के लिए वोट पड़ रहा है और इसकी झलक उपचुनावों में राज्‍य के लोग दिखा चुके हैं. पांच साल हिमाचल में बीजेपी की सरकार रही. इन्‍हें अपना रिपोर्ट कार्ड बताना था लेकिन इनके पास बताने के लिए कुछ नहीं है. हर वर्ग परेशान है. क्‍या कांग्रेस भी बागियों की समस्‍या से जूझ रही, इस सवाल पर उन्‍होंने कहा कि हमारे बागी पांच जगह है जबकि बीजेपी के 20 से अधिक जगह पर. नरेश ने कहा कि बदलाव के लिए अंडर करंट है. 

बीजेपी और कांग्रेस के लिए इस चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती क्‍या हैं? इस सवाल पर पत्रकार बीडी शर्मा बोले-बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं बागी. 20 से 21 बागी इस समय मैदान में डटे हैं तो पार्टी की संभावनाओं पर असर डाल सकते हैं. इसके अलावा बेरोजगारी, ओपीएस और सेव किसानों का मुद्दा भी अहम है. उन्‍होंने कहा कि  कांग्रेस ने इस बार काफी अच्‍छा कैंपेन किया है. मीडिया से उनका अच्‍छा तालमेल रहा है लेकिन वीरभद्र सिंह के निधन के बाद लीडरशिप इस पार्टी के लिए चुनौती है.  वरिष्‍ठ पत्रकार अनिल भटनागर ने माना, यह बहुत संघर्षपूर्ण इलेक्‍शन लग रहा है. दोनों पार्टियों ने प्रचारक उतारे, अपनी ओर से पूरी कोशिश की. बीजेपी ने पीएम मोदी से लेकर योगी आदित्‍यनाथ तक स्‍टार प्रचारकों को उतारा है. आमतौर पर माना जाता है कि पहाड़ी राज्‍यों में परिणाम एकतरफा आते हैं लेकिन वास्‍तव में ऐसा नहीं है. बीजेपी के लिए बागी, ओपीएस जैसे मुद्दे चुनौती है. ओल्‍ड पेंशन स्‍कीम (OPS)बड़ा मुद्दा है जो कांग्रेस के लिए फायदा दे सकती है. 

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