अरुण जेटली (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपियों पर नकेल कसने की प्रक्रिया तेज़ हो रही है. शुक्रवार को बैंक के पूर्व इंटरनल चीफ ऑडिटर बिश्नूब्रत मिश्रा को आगे की पूछताछ के लिए कोर्ट ने बारह दिन की सीबीआई कस्टडी में भेज दिया. इधर अब सरकार ऑडिटरों की भी जिम्मेदारी तय करने के कदम उठा रही है. पिछले दो दिनों में अदालत ने पीएनबी के मौजूदा और पूर्व इंटरनल चीफ ऑडिटरों को पूछताछ के लिए सीबीआई के हवाले किया है. 12 हजार करोड़ से भी ज्यादा के इस घोटाले के दायरे और उसके तौर तरीके ने देश के बड़े सरकारी बैंकों की आंतरिक ऑडिटिंग की प्रक्रिया पर बड़े सवाल खड़े किए हैं. अब संस्थानों में ऑडिटरों की जवाबदेही तय करने और उन्हें रेग्यूलेट करने के लिए कैबिनेट ने देश में एक नये National Financial Reporting Authority के गठन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है.
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प्रस्तावित नेशनल फाइनेंसियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी यानी NFRA में चेयरमैन के अलावा 3 स्थायी सदस्य और एक सचिव का पद होगा. NFRA के पास सभी लिस्टेड कंपनियों और बड़ी अनलिस्टेड कंपनियों से जुड़े चार्टर्ड अकाउन्टेंट्स और उनके firms की जांच का अधिकार होगा. भारत सरकार के पास किसी भी संस्था की जांच NFRA को सौंपने का अधिकार होगा. दरअसल, आर्थिक अपराधों से निबटने को लेकर सरकार का ये दूसरा अहम फैसला है, इससे पहले विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे आर्थिक अपराधियों से सख्ती से निपटने के लिए कैबिनेट भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल को भी मंज़ूरी दे चुकी है.
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ये बिल आर्थिक अपराध कर विदेश भागने वाले लोगों की बेनामी संपत्तियों को ज़ब्त करने के लिए लाया गया है. लेकिन कांग्रेस सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि 2015 से सरकार के पास पीएनबी घोटाले की जानकारी थी लेकिन इसके बावजूद आरोपी देश छोड़कर भागने में कामयाब रहे. बढ़ती अर्थव्यवस्था में बैंक एक अहम साझीदार रहे हैं लेकिन बढ़ते आर्थिक अपराध इस बात के सबूत हैं कि निगरानी के किसी ना किसी स्तर पर चूक की गुंजाइश बची रह गई.
VIDEO: सरकार पर कांग्रेस का हमला
अब इसे फुलप्रूफ बनाना ना सिर्फ सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है बल्कि उतनी ही बड़ी चुनौती भी.
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प्रस्तावित नेशनल फाइनेंसियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी यानी NFRA में चेयरमैन के अलावा 3 स्थायी सदस्य और एक सचिव का पद होगा. NFRA के पास सभी लिस्टेड कंपनियों और बड़ी अनलिस्टेड कंपनियों से जुड़े चार्टर्ड अकाउन्टेंट्स और उनके firms की जांच का अधिकार होगा. भारत सरकार के पास किसी भी संस्था की जांच NFRA को सौंपने का अधिकार होगा. दरअसल, आर्थिक अपराधों से निबटने को लेकर सरकार का ये दूसरा अहम फैसला है, इससे पहले विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे आर्थिक अपराधियों से सख्ती से निपटने के लिए कैबिनेट भगोड़ा आर्थिक अपराध बिल को भी मंज़ूरी दे चुकी है.
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ये बिल आर्थिक अपराध कर विदेश भागने वाले लोगों की बेनामी संपत्तियों को ज़ब्त करने के लिए लाया गया है. लेकिन कांग्रेस सरकार के फैसले पर सवाल उठा रही है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि 2015 से सरकार के पास पीएनबी घोटाले की जानकारी थी लेकिन इसके बावजूद आरोपी देश छोड़कर भागने में कामयाब रहे. बढ़ती अर्थव्यवस्था में बैंक एक अहम साझीदार रहे हैं लेकिन बढ़ते आर्थिक अपराध इस बात के सबूत हैं कि निगरानी के किसी ना किसी स्तर पर चूक की गुंजाइश बची रह गई.
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अब इसे फुलप्रूफ बनाना ना सिर्फ सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है बल्कि उतनी ही बड़ी चुनौती भी.
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