अनुच्छेद 370 पर सुनवाई काफी अहम दौर में पहुंच चुकी है. सोमवार को 11 वें दिन केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि फरवरी 2019 में पुलवामा में CRPF काफिले पर जेहादी हमले के बाद केंद्र ने ये मन बनाया कि जम्मू- कश्मीर का स्पेशल स्टेटस खत्म करके केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बहुत सी चीजें हुईं और पुलवामा 2019 की शुरुआत में हुआ, और यह कदम कई चीजों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था जैसे संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे आदि.
यह एक सुविचारित प्रशासनिक मुद्दा है और अच्छी तरह से सोचा गया है और जल्दबाजी में लिया गया निर्णय नहीं है. अदालत में कम से कम दो प्रमुख राजनीतिक दल अनुच्छेद 370 का बचाव कर रहे हैं, जिसमें अनुच्छेद 35ए भी शामिल है. दरअसल अब लोगों को एहसास हो गया है कि उन्होंने क्या खोया है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 35ए हटने से जम्मू-कश्मीर में निवेश आना शुरू हो गया है और पुलिस व्यवस्था केंद्र के पास होने से क्षेत्र में पर्यटन भी शुरू हो गया है.
अलगाव के बाद से लगभग 16 लाख पर्यटकों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया है और क्षेत्र में नए होटल खोले गए हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिला है. सुनवाई के अंत में, जस्टिय संजीव खन्ना ने मेहता से दो पहलुओं को स्पष्ट करने के लिए कहा: "क्या लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में परिवर्तित करना इसे डाउनग्रेड करना है, जैसा कि याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है; और दूसरा, अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के तहत, अधिकतम कार्यकाल है 3 साल. हमने वो 3 साल पार कर लिए हैं, इसलिए इसे स्पष्ट करें.
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