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This Article is From Jul 29, 2020

केंद्र जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कयूम को तुरंत रिहा करने के लिए तैयार

जम्मू- कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कयूम को तुरंत रिहा किया जाएगा

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केंद्र जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल कयूम को तुरंत रिहा करने के लिए तैयार
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

PSA के तहत हिरासत में लिए गए जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम को केंद्र तुरंत रिहा करने के लिए तैयार है. जम्मू- कश्मीर प्रशासन की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि कयूम को तुरंत रिहा किया जाएगा. केंद्र ने ये शर्त मान ली है कि वे 7 अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे बल्कि दिल्ली में ही रहेंगे और वह कोई भी बयान जारी नहीं करेंगे. 

पिछली सुनवाई में जम्मू- कश्मीर प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उनकी हिरासत को 6 अगस्त के बाद बढ़ाया नहीं जाएगा. कोर्ट ने कहा था कि कयूम को जमानत पर रिहा किया जा सकता है और जमानत की शर्त के तौर पर कहा जा सकता है कि वो 7 अगस्त तक कश्मीर नहीं जाएंगे बल्कि दिल्ली में ही रहेंगे और वह कोई भी बयान जारी नहीं करेंगे. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से सुझाव देने के लिए कहा था. 

सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के हिरासत की अवधि बढ़ाने के लेकर जवाब मांगा था. कोर्ट ने  कहा था कि कयूम की नजरबंदी समाप्त हो चुकी है और वह 73 वर्ष के हैं. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को इस पर गौर करने को कहा था. सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत अपनी नजरबंदी को खत्म करने के लिए कयूम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता के लिए सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा मांगे गए समय का विरोध किया और कहा कि एक साल की हिरासत पहले ही खत्म हो चुकी है.

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न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने  जम्मू और कश्मीर प्रशासन से  कहा कि हिरासत की अवधि समाप्त हो गई है. पहले की प्राथमिकी 2010 के आसपास थी. उसके बाद कुछ भी नहीं. ये COVID समय है और वह हिरासत की अवधि समाप्त होने के साथ 73 साल के हैं. इस मामले पर गौर किया जाना चाहिए. 

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कयूम ने उच्च न्यायालय के 28 मई के फैसले की वैधता को चुनौती दी थी जिसमें हिरासत के खिलाफ उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी. 73 वर्षीय याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया कि HC का आदेश गैरकानूनी और असंवैधानिक था क्योंकि वर्ष 2008 और 2010 में उनके खिलाफ दर्ज चार एफआईआर पर भरोसा करते हुए ये किया गया जो गलत है. 

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शीर्ष अदालत ने पूर्व में नोटिस जारी करते हुए तिहाड़ जेल के अधिकारियों को यहां निर्देश दिया था, जहां कयूम फिलहाल मौजूद हैं, जिससे उन्हें गर्मियों के कपड़े और अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई जा सकें. कयूम के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि उनको कल रिहा किया जाए ताकि परिवार वाले ले जा सकें. तुषार मेहता ने इस पर सहमति जताई.

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