सोपोर में तैनात सुरक्षाकर्मी (फाइल तस्वीर)
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले में 26 साल के एक युवक इरफ़ान शाह ने जम्मू-कश्मीर पुलिस पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सोपोर में 6 नागरिकों की हत्या के आरोपी आतंकवादी अब्दुल कय्यूम नजर की पहचान के लिए जो इश्तिहार छापा है, उसमें अब्दुल कय्यूम की जगह उसकी तस्वीर लगा दी है।
पुलिस ने इस वांछित आतंकवादी का सुराग देने वालों को 10 लाख़ रुपये का ईनाम भी देने का ऐलान किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ऐसा मानती है कि पिछले एक महीने के दौरान सोपोर में जिन छह नागरिकों की आतंकी हमले में मौत हुई है, उसका ज़िम्मेदार हिज्बुल का टॉप कमांडर अब्दुल कय्यूम ही है, जिसकी शक्ल इरफ़ान शाह से मिलती है।
दुकानदार या मोस्ट वॉन्टेड आतंकी
पुलिस ने पिछले बुधवार को सोपोर और उसके आसपास के इलाकों में अब्दुल कय्यूम नजर और उसके साथी इम्तियाज अहमद कुंदु की तस्वीर के पोस्टर लगवाने के अलावा उन्हें सोशल मीडिया में भी जारी कर दिया। इसके कुछ ही घंटों के बाद छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलाने वाले इरफ़ान के पास दोस्तों और रिश्तेदारों के फोन आने शुरू हो गए। इरफ़ान को तब पता चला कि उनकी तस्वीर का इस्तेमाल घाटी के मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी को ढूंढ निकालने के लिए किया जा रहा है।
मामले को तूल न दें - पुलिस
इसके तुरंत बाद इरफ़ान अपने घरवालों के साथ लोकल पुलिस स्टेशन पहुंचा, जहां पुलिस ने उनसे कहा कि पोस्टर में उनकी तस्वीर नहीं लगाई गई है, लेकिन साथ ही ये भी ताक़ीद दी कि वे इस मामले को ज्य़ादा तूल न दें।
तसल्ली न होने पर इरफ़ान स्थानीय लोगों के साथ कुपवाड़ा के एसपी के पास पहुंचे, जहां एसपी ने अपने डिपार्टमेंट को इस बारे में जानकारी देते हुए उन्हें इरफ़ान की तस्वीरें भेजीं। इसके साथ इरफ़ान को सलाह दी कि वो अगले एक महीने तक शहर न छोड़ें।
पुलिस जहां सोपोर में मारे गए छह नागरिकों की हत्या के लिए हिज्बुल आतंकी अब्दुल कय्यूम नजर को दोषी मान रही है, वहीं इरफ़ान ने अंग्रेज़ी अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि मेरी तस्वीर एक वॉन्टेड आतंकी के रूप में प्रसारित की जा रही है, ये मेरे और मेरे परिवार के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। मेरा पूरा परिवार बहुत डरा हुआ है।"
'बलि का बकरा'
इरफ़ान का आरोप है कि उसने अपने भतीजे इशफाक़ बशीर के साथ बारामूला के एक पार्क में तस्वीर खिंचवाईं थी, जिसमें बशीर का हाथ इरफ़ान के कंधे पर है। पुलिस ने इसी तस्वीर में से इरफ़ान की तस्वीर को क्रॉप करके पोस्टरों में लगाई है, जिसमें बशीर का हाथ भी नज़र रहा है और उसे अब्दुल कय्यूम कहा जा रहा है।
इरफ़ान के भाई का आरोप है कि, 'सोपोर में नागरिकों की हत्या के बाद पुलिस पर काफी दबाव है और इस कारण उन्होंने इरफ़ान को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की है। उन्होंने अब्दूल कय्यूम की जगह मेरे भाई की तस्वीर थमा दी, जिसे वो भुगत रहा है। जिन्होंने भी ऐसा किया उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए।'
ग़लतफहमी
उत्तर कश्मीर के डीआईजी गरीब दास ने अंग्रेज़ी अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि, 'उन्हें इस बात की जानकारी है, लेकिन ये गलतफ़हमी इरफ़ान के अब्दुल क्य्यूम का हमशक्ल होने के कारण हुई है। अगर दोनों तस्वीरों की जांच एक्सपर्ट द्वारा करायी जाएगी तो दोनों में काफी फर्क़ नज़र आएगा।
जबकि कुपवाड़ा बार एसोसिएशन के वकील आसिफ़ अहमद का कहना है, 'हमने जब पुलिस पर इस मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और उनके सामने असली तस्वीर रख दी, तब यहां के एसपी और पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी ग़लती मानते हुए, इरफ़ान को एक सर्टिफिकेट दिया है, जिसमें ये कहा गया है कि वे एक वॉन्टेड आंतकवादी नहीं हैं और अगर किसी वजह से उनकी गिरफ़्तारी होती है, तो उनके परिवार को तुरंत उनसे संपर्क करना चाहिए।
पुलिस ने इस वांछित आतंकवादी का सुराग देने वालों को 10 लाख़ रुपये का ईनाम भी देने का ऐलान किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ऐसा मानती है कि पिछले एक महीने के दौरान सोपोर में जिन छह नागरिकों की आतंकी हमले में मौत हुई है, उसका ज़िम्मेदार हिज्बुल का टॉप कमांडर अब्दुल कय्यूम ही है, जिसकी शक्ल इरफ़ान शाह से मिलती है।
दुकानदार या मोस्ट वॉन्टेड आतंकी
पुलिस ने पिछले बुधवार को सोपोर और उसके आसपास के इलाकों में अब्दुल कय्यूम नजर और उसके साथी इम्तियाज अहमद कुंदु की तस्वीर के पोस्टर लगवाने के अलावा उन्हें सोशल मीडिया में भी जारी कर दिया। इसके कुछ ही घंटों के बाद छोटी सी इलेक्ट्रॉनिक दुकान चलाने वाले इरफ़ान के पास दोस्तों और रिश्तेदारों के फोन आने शुरू हो गए। इरफ़ान को तब पता चला कि उनकी तस्वीर का इस्तेमाल घाटी के मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी को ढूंढ निकालने के लिए किया जा रहा है।
मामले को तूल न दें - पुलिस
इसके तुरंत बाद इरफ़ान अपने घरवालों के साथ लोकल पुलिस स्टेशन पहुंचा, जहां पुलिस ने उनसे कहा कि पोस्टर में उनकी तस्वीर नहीं लगाई गई है, लेकिन साथ ही ये भी ताक़ीद दी कि वे इस मामले को ज्य़ादा तूल न दें।
तसल्ली न होने पर इरफ़ान स्थानीय लोगों के साथ कुपवाड़ा के एसपी के पास पहुंचे, जहां एसपी ने अपने डिपार्टमेंट को इस बारे में जानकारी देते हुए उन्हें इरफ़ान की तस्वीरें भेजीं। इसके साथ इरफ़ान को सलाह दी कि वो अगले एक महीने तक शहर न छोड़ें।
पुलिस जहां सोपोर में मारे गए छह नागरिकों की हत्या के लिए हिज्बुल आतंकी अब्दुल कय्यूम नजर को दोषी मान रही है, वहीं इरफ़ान ने अंग्रेज़ी अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' से कहा, मैं विश्वास नहीं कर पा रहा हूं कि मेरी तस्वीर एक वॉन्टेड आतंकी के रूप में प्रसारित की जा रही है, ये मेरे और मेरे परिवार के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है। मेरा पूरा परिवार बहुत डरा हुआ है।"
'बलि का बकरा'
इरफ़ान का आरोप है कि उसने अपने भतीजे इशफाक़ बशीर के साथ बारामूला के एक पार्क में तस्वीर खिंचवाईं थी, जिसमें बशीर का हाथ इरफ़ान के कंधे पर है। पुलिस ने इसी तस्वीर में से इरफ़ान की तस्वीर को क्रॉप करके पोस्टरों में लगाई है, जिसमें बशीर का हाथ भी नज़र रहा है और उसे अब्दुल कय्यूम कहा जा रहा है।
इरफ़ान के भाई का आरोप है कि, 'सोपोर में नागरिकों की हत्या के बाद पुलिस पर काफी दबाव है और इस कारण उन्होंने इरफ़ान को बलि का बकरा बनाने की कोशिश की है। उन्होंने अब्दूल कय्यूम की जगह मेरे भाई की तस्वीर थमा दी, जिसे वो भुगत रहा है। जिन्होंने भी ऐसा किया उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए।'
ग़लतफहमी
उत्तर कश्मीर के डीआईजी गरीब दास ने अंग्रेज़ी अख़बार 'इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि, 'उन्हें इस बात की जानकारी है, लेकिन ये गलतफ़हमी इरफ़ान के अब्दुल क्य्यूम का हमशक्ल होने के कारण हुई है। अगर दोनों तस्वीरों की जांच एक्सपर्ट द्वारा करायी जाएगी तो दोनों में काफी फर्क़ नज़र आएगा।
जबकि कुपवाड़ा बार एसोसिएशन के वकील आसिफ़ अहमद का कहना है, 'हमने जब पुलिस पर इस मामले में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और उनके सामने असली तस्वीर रख दी, तब यहां के एसपी और पुलिस के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी ग़लती मानते हुए, इरफ़ान को एक सर्टिफिकेट दिया है, जिसमें ये कहा गया है कि वे एक वॉन्टेड आंतकवादी नहीं हैं और अगर किसी वजह से उनकी गिरफ़्तारी होती है, तो उनके परिवार को तुरंत उनसे संपर्क करना चाहिए।
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