पीएसए के तहत जम्मू-कश्मीर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मियां अब्दुल कयूम को हिरासत में रखने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से उनकी हिरासत की अवधि बढ़ाने को लेकर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कयूम की नजरबंदी समाप्त हो चुकी है और वह 73 वर्ष के हैं. कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को इस पर गौर करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आगे की सुनवाई 23 जुलाई तक के लिए टाल दी. सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत अपनी नजरबंदी को खत्म करने के लिए कयूम ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिकाकर्ता के लिए सीनियर वकील दुष्यंत दवे ने जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा मांगे गए समय का विरोध किया और कहा कि एक साल की हिरासत पहले ही खत्म हो चुकी है.
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने जम्मू और कश्मीर प्रशासन से कहा कि हिरासत की अवधि समाप्त हो गई है. पहले की प्राथमिकी 2010 के आसपास की थी. उसके बाद कुछ भी नहीं. ये COVID समय है और वह हिरासत की अवधि समाप्त होने के साथ 73 साल के हैं. इस मामले पर गौर किया जाना चाहिए.
कयूम ने उच्च न्यायालय के 28 मई के फैसले की वैधता को चुनौती दी. हिरासत के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई. एक वरिष्ठ वकील 73 वर्षीय याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट का आदेश गैरकानूनी और असंवैधानिक था क्योंकि वर्ष 2008 और 2010 में उनके खिलाफ दर्ज चार एफआईआर पर भरोसा करते हुए ये किया गया जो गलत है.
शीर्ष अदालत ने पूर्व में नोटिस जारी करते हुए तिहाड़ जेल के अधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि जहां कयूम फिलहाल मौजूद हैं, जिससे उन्हें गर्मियों के कपड़े और अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई जाएं.
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