ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह और वित्तसचिव हसमुख अधिया( फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
इस साल 11 जून की बात है. जब टू जी घोटाले की जांच कर रहे ईडी(ED) के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह(Rajeshwar Singh) ने देश के वित्तसचिव हसमुख अधिया(Hasmukh Adhia) के खिलाफ ऐसी चिट्ठी लिख दी, जिसने 'लुटियन्स जोन' में खलबली मचा दी. राजेश्वर सिंह ने आठ पन्नों की इस चिट्ठी में हसमुख अधिया के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए. उन्हें स्कैममास्टर्स यानी घोटालेबाजों के साथ खड़ा होने वाला करार देते हुई कई तीखे सवाल किए थे. राजेश्वर सिंह ने कहा-मंत्रालय के हर पैमाने पर काबिल पाए जाने के बावजूद मेरे प्रमोशन पर विचार नहीं किया गया. क्या घोटालेबाजों और उनके सहयोगियों का पक्ष लेकर उनसे बैर पाल लिया है.' इसमें उन्होंने उनकी प्रोन्नति की अनदेखी करने, 'राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने' और 'अहंकार के कारण बदला लेने' का मुद्दा उठाया .
बहरहाल, शुरुआत में इस लेटर की किसी को खबर नहीं हुई. इस बीच राजेश्वर सिंह के खिलाफ दुबई के एक संदिग्घ व्यक्ति से बातचीत करने और अन्य तरह की शिकायत का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है. राजेश्वर अपने खिलाफ शिकायतों को झूठा करार देते हैं, मगर सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ जांच से किसी तरह की छूट नहीं देता. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजेश्वर सिंह का 11 जून को ईडी के डायरेक्टर करनैल सिंह और रेवेन्यू सेक्रेटरी को लिखा सनसनीखेज पत्र अचानक सरकारी फाइलों से बाहर आ जाता है. सार्वजनिक हुए इस पत्र से ईडी से लेकर वित्तमंत्रालय के दोनों अफसरों के बीच मचे घमासान का खुलासा होता है.
राजेश्वर की ओर से लगाए आरोपों का बाद में हसमुख अधिया जवाब देते हैं. इस बीच राजेश्वर सिंह के खिलाफ वित्तमंत्रालय की ओर से चार्जशीट भी पेश होती है. सूत्र बताते हैं कि देश के वित्त सचिव और ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर के बीच मचे इस घमासान को शांत कराने के लिए तब ऊपर से दखल होता है. जिसके बाद ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह आरोपों को वापस लेने के साथ एक पत्र लिखते हैं, कहते हैं- उन्होंने आवेश में आकर हसमुख अधिया के खिलाफ आरोप लगाए थे. तब जाकर यह मामला शांत होता है.
जी हां, ये तो रही ईडी अफसर और वित्तसचिव के बीच पहले से मची रार की बुनियाद. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि विवाद के बाद सीबीआई मे डैमेज कंट्रोल करने में जुटी सरकार के लिए अभी चिंताएं खत्म नहीं हुई हैं. प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) और वित्तमंत्रालय के इन दो अफसरों के बीच मची रार का मामला फिर इस माहौल में गरमा सकता है. इन अटकलों को बल तब मिला, जब बीते दिनों बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट में राजेश्वर सिंह के खिलाफ एक्शन होने की आशंका जताई है. वहीं उन्होंने वित्त सचिव हसमुख अधिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. माना जा रहा है कि अगर ईडी में कोई एक्शन होता है, तो फिर इन दो अफसरों के बीच फिर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो सकता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में हंसमुख अंधिया की ओर से रॉ के बनाए 2016 के एक पुराने इनपुट को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था. जिसमें दुबई के दानिश नामक संदिग्घ व्यक्ति से ईडी अफसर राजेश्वर सिंह के संबंध होने का दावा किया गया था. हालांकि राजेश्वर और ईडी डायरेक्टर करनैल सिंह ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा था कि दुबई से आई टेलीफोन कॉल का इस्तेमाल राजेश्वर ने कुछ सूचनाओं के लिए किया था, इसकी उन्होंने जानकारी भी दी थी.
कौन हैं हंसमुख अंधिया
हंसमुख अंधिया, 1981 बैच के गुजरात काडर के आईएएस अफसर हैं. गुजरात लॉबी के उन टॉप अफसरों में शुमार हैं, जिन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का भरोसेमंद माना जाता है. गुजरात में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहे, तब भी हंसमुख अंधिया अहम भूमिका में रहे. फिर जब मोदी पीएम बने तो सबसे पहले उन्हें नवंबर 2014 में गुजरात से दिल्ली में वित्तमंत्रालय में सचिव के तौर पर लाया गया. फिर सितंबर 2015 में राजस्व सचिव बने. बाद में नवंबर 2017 में वित्त सचिव बने. इस वक्त बतौर वित्तसचिव हंसमुख अंधिया के हवाले करीब पांच विभाग हैं. इसमें वित्तीय सेवा, राजस्व और निवेश, लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग, व्यय और आर्थिक मामले हैं.
कौन हैं राजेश्वर सिंह
यूपी काडर के 1998 बैच के पीपीएस अफसर हैं. यूपी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में पहचान बनाने वाले राजेश्वर सिंह 2007 में प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले आए. तब से देश को हिला देने वाले कई बड़े मामलों की जांच से जुड़े हैं. 2009 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनके आठ मंत्रियों को चार हजार करोड़ के घोटाले में राजेश्वर सिंह की टीम ने गिरफ्तार किया था.कोलेगेट केस, जगनमोहन रेड्डी, अगस्ता वेस्टलैंड, ओपी चौटाला से जुडे़ केस से राजेश्वर सिंह का नाता रहा है. बड़े केसेज से जुड़ाव के चलते राजेश्वर हमेशा सुर्खियों में भी रहे. कई बार कोर्ट तक अनियमितताओं की शिकायतें भी पहुंचीं. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी उन्हें ईमानदार अफसर बताते हैं. अपने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में होने वाली शिकायतों को राजेश्वर बेबुनियाद मानते हैं. सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कहा था कि टू जी आदि मामलों की जांच को प्रभावित करने के लिए कुछ ताकतें फर्जी शिकायतों के जरिए परेशान करना चाहतीं हैं.
बहरहाल, शुरुआत में इस लेटर की किसी को खबर नहीं हुई. इस बीच राजेश्वर सिंह के खिलाफ दुबई के एक संदिग्घ व्यक्ति से बातचीत करने और अन्य तरह की शिकायत का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाता है. राजेश्वर अपने खिलाफ शिकायतों को झूठा करार देते हैं, मगर सुप्रीम कोर्ट उनके खिलाफ जांच से किसी तरह की छूट नहीं देता. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजेश्वर सिंह का 11 जून को ईडी के डायरेक्टर करनैल सिंह और रेवेन्यू सेक्रेटरी को लिखा सनसनीखेज पत्र अचानक सरकारी फाइलों से बाहर आ जाता है. सार्वजनिक हुए इस पत्र से ईडी से लेकर वित्तमंत्रालय के दोनों अफसरों के बीच मचे घमासान का खुलासा होता है.
राजेश्वर की ओर से लगाए आरोपों का बाद में हसमुख अधिया जवाब देते हैं. इस बीच राजेश्वर सिंह के खिलाफ वित्तमंत्रालय की ओर से चार्जशीट भी पेश होती है. सूत्र बताते हैं कि देश के वित्त सचिव और ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर के बीच मचे इस घमासान को शांत कराने के लिए तब ऊपर से दखल होता है. जिसके बाद ईडी के ज्वाइंट डायरेक्टर राजेश्वर सिंह आरोपों को वापस लेने के साथ एक पत्र लिखते हैं, कहते हैं- उन्होंने आवेश में आकर हसमुख अधिया के खिलाफ आरोप लगाए थे. तब जाकर यह मामला शांत होता है.
जी हां, ये तो रही ईडी अफसर और वित्तसचिव के बीच पहले से मची रार की बुनियाद. अब सूत्रों के हवाले से खबर है कि विवाद के बाद सीबीआई मे डैमेज कंट्रोल करने में जुटी सरकार के लिए अभी चिंताएं खत्म नहीं हुई हैं. प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) और वित्तमंत्रालय के इन दो अफसरों के बीच मची रार का मामला फिर इस माहौल में गरमा सकता है. इन अटकलों को बल तब मिला, जब बीते दिनों बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट में राजेश्वर सिंह के खिलाफ एक्शन होने की आशंका जताई है. वहीं उन्होंने वित्त सचिव हसमुख अधिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. माना जा रहा है कि अगर ईडी में कोई एक्शन होता है, तो फिर इन दो अफसरों के बीच फिर आरोप-प्रत्यारोप तेज हो सकता है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट में हंसमुख अंधिया की ओर से रॉ के बनाए 2016 के एक पुराने इनपुट को सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था. जिसमें दुबई के दानिश नामक संदिग्घ व्यक्ति से ईडी अफसर राजेश्वर सिंह के संबंध होने का दावा किया गया था. हालांकि राजेश्वर और ईडी डायरेक्टर करनैल सिंह ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा था कि दुबई से आई टेलीफोन कॉल का इस्तेमाल राजेश्वर ने कुछ सूचनाओं के लिए किया था, इसकी उन्होंने जानकारी भी दी थी.
कौन हैं हंसमुख अंधिया
हंसमुख अंधिया, 1981 बैच के गुजरात काडर के आईएएस अफसर हैं. गुजरात लॉबी के उन टॉप अफसरों में शुमार हैं, जिन्हें पीएम नरेंद्र मोदी का भरोसेमंद माना जाता है. गुजरात में जब नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहे, तब भी हंसमुख अंधिया अहम भूमिका में रहे. फिर जब मोदी पीएम बने तो सबसे पहले उन्हें नवंबर 2014 में गुजरात से दिल्ली में वित्तमंत्रालय में सचिव के तौर पर लाया गया. फिर सितंबर 2015 में राजस्व सचिव बने. बाद में नवंबर 2017 में वित्त सचिव बने. इस वक्त बतौर वित्तसचिव हंसमुख अंधिया के हवाले करीब पांच विभाग हैं. इसमें वित्तीय सेवा, राजस्व और निवेश, लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग, व्यय और आर्थिक मामले हैं.
कौन हैं राजेश्वर सिंह
यूपी काडर के 1998 बैच के पीपीएस अफसर हैं. यूपी में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के रूप में पहचान बनाने वाले राजेश्वर सिंह 2007 में प्रतिनियुक्ति पर ईडी में चले आए. तब से देश को हिला देने वाले कई बड़े मामलों की जांच से जुड़े हैं. 2009 में झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री और उनके आठ मंत्रियों को चार हजार करोड़ के घोटाले में राजेश्वर सिंह की टीम ने गिरफ्तार किया था.कोलेगेट केस, जगनमोहन रेड्डी, अगस्ता वेस्टलैंड, ओपी चौटाला से जुडे़ केस से राजेश्वर सिंह का नाता रहा है. बड़े केसेज से जुड़ाव के चलते राजेश्वर हमेशा सुर्खियों में भी रहे. कई बार कोर्ट तक अनियमितताओं की शिकायतें भी पहुंचीं. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी उन्हें ईमानदार अफसर बताते हैं. अपने खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में होने वाली शिकायतों को राजेश्वर बेबुनियाद मानते हैं. सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने कहा था कि टू जी आदि मामलों की जांच को प्रभावित करने के लिए कुछ ताकतें फर्जी शिकायतों के जरिए परेशान करना चाहतीं हैं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं