हरिद्वार के चर्चित अर्बन कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में आरोपी जाग्रत गर्ग को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने गर्ग को जमानत दे दी है. गर्ग पर आरोप है कि वह दोपहिया के कागज देकर कार लोन दिलाता था. उस पर बैंक से लाखों का फर्जीवाड़ा करने का आरोप है. अदालत ने कहा कि जांच पूरी हो चुकी है, ट्रायल शुरू हो चुका है. आरोपी एक साल से ज्यादा समय से जेल में है, इसलिए जमानत दी जानी चाहिए.
आरोपी के वकील विभु तिवारी ने पीठ को बताया कि वह पिछले एक साल दो महीने से जेल में बंद है और चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. सारे सबूत दस्तावेज ही हैं जो पुलिस के पास पहले से मौजूद हैं. इस वजह से सबूतों के साथ कोई छेड़खानी भी नहीं हो सकती. और अगर बाद में जाग्रत निर्दोष पाए गए तो यह उनके साथ बहुत बड़ा अन्याय होगा. अतः जाग्रत को जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए. कानून भी यही कहता है कि जमानत नियम है और जेल भेजना एक अपवाद.
दरअसल जाग्रत की जमानत याचिका उतराखंड हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल 2024 को खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन फाइल की थी.
सुप्रीम कोर्ट में उत्तराखंड सरकार की तरफ से सरकारी वकील ने तर्क दिया कि जाग्रत इस केस के मास्टर माइंड व किंगपिन हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने विभु तिवारी के तर्कों को मानते हुए कहा कि भले ही जाग्रत गर्ग का नाम एफआईआर में है और पुलिस ने दिखाया कि उनके पास से जरूरी दस्तावेज बरामद हुए हैं, तब भी जब तक साबित नहीं हो जाता कि वे दोषी हैं, वे जमानत के अधिकारी हैं. इसे जमानत मिलनी चाहिए. उन्हें जिला न्यायालय में पेश कर जमानत पर रिहा किया जाए. पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट जमानत की शर्तें तय करेगी.
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