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कलकत्ता HC से ममता सरकार को झटका, बंगाल में 2011 के बाद जारी OBC सर्टिफिकेट रद्द

पीठ ने निर्देश दिया कि पांच मार्च, 2010 से 11 मई, 2012 तक 42 वर्गों को OBC के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को भी रद्द कर दिया गया.

कलकत्ता HC से ममता सरकार को झटका, बंगाल में 2011 के बाद जारी OBC सर्टिफिकेट रद्द
कोलकाता:

कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) ने बुधवार को पश्चिम बंगाल में कई वर्गों का ओबीसी (अन्य पिछड़े वर्ग) दर्जा रद्द कर दिया और राज्य की नौकरियों में रिक्तियों के लिए 2012 के एक अधिनियम के तहत इस तरह के आरक्षण को अवैध पाया. अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करते हुए उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जिन वर्गों का ओबीसी दर्जा हटाया गया है, उसके सदस्य यदि पहले से ही सेवा में हैं या आरक्षण का लाभ ले चुके हैं या राज्य की किसी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके हैं, तो उनकी सेवाएं इस फैसले से प्रभावित नहीं होंगी.

बड़ी संख्या में लोग होंगे प्रभावित

मामले से जुड़े एक वकील ने कहा कि इस फैसले से राज्य में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे. अदालत ने पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा) (सेवाओं और पदों में रिक्तियों का आरक्षण) कानून, 2012 के तहत ओबीसी के तौर पर आरक्षण का लाभ प्राप्त करने वाले कई वर्गों को संबंधित सूची से हटा दिया. 

2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
न्यायमूर्ति तपब्रत चक्रवर्ती और न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि 2010 से पहले ओबीसी के 66 वर्गों को वर्गीकृत करने वाले राज्य सरकार के कार्यकारी आदेशों में हस्तक्षेप नहीं किया गया, क्योंकि इन्हें याचिकाओं में चुनौती नहीं दी गई थी. पीठ ने निर्देश दिया कि पांच मार्च, 2010 से 11 मई, 2012 तक 42 वर्गों को ओबीसी के रूप में वर्गीकृत करने वाले राज्य के कार्यकारी आदेशों को भी रद्द कर दिया गया.

पीठ ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की राय और सलाह आमतौर पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1993 के तहत राज्य विधानमंडल के लिए बाध्यकारी है. पीठ ने राज्य के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग को आयोग के परामर्श से ओबीसी की राज्य सूची में नए वर्गों को शामिल करने या शेष वर्गों को बाहर करने की सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट विधायिका के समक्ष रखने का निर्देश दिया.

फैसला स्वीकार नहीं: ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह इस आदेश को "स्वीकार नहीं करेंगी", जो "तपशिली समुदाय को दिए गए अधिकार छीन लेगा". उन्होंने कहा, हमने घर-घर सर्वेक्षण करने के बाद विधेयक का मसौदा तैयार किया था और इसे कैबिनेट और विधानसभा द्वारा पारित किया गया था... भाजपा ने इसे रोकने की साजिश रची थी लेकिन वे अदालत में हार गए थे.  उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर निशाना साधते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, "एक न्यायाधीश कह रहा है, 'मैं आरएसएस का आदमी हूं', दूसरा भाजपा में शामिल हो जाता है... आप इस तरह से न्यायाधीश कैसे बन सकते हैं और अदालतों की अध्यक्षता कैसे कर सकते हैं?.

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