भारत के राष्ट्रीय चिन्ह पर उठ रहे विवाद पर कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक ने प्रतिक्रिया देते हुए शनिवार को कहा कि इन्होंने शायद दूध पीता हुआ या बिना दांत वाला शेर देखा होगा. वाराणसी सर्किट हाउस पहुंचे कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि आजकल राष्ट्रीय एंबलम को लेकर विपक्ष के नेता जो आरोप लगा रहे हैं तो इन्होंने शायद दूध पीता हुआ या बिना दांत वाला शेर देखा होगा. यह भारत के शेर हैं, शेर की जो कृति है, वो सारनाथ की ही तरह है.
बहुसंखयकों के डीएनए में सर्वधर्म समभाव
उन्होंने कहा, " दोनों में कोई अंतर नहीं है. अंतर है तो उन लोगों के दिमाग में. भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है और भारत में रहने वाले बहुसंखयकों के डीएनए में सर्वधर्म समभाव है. यहां सनातन धर्म को मानने वाले अधिक हैं और सनातन से निकलने वाले जितने भी धर्म हैं, वो सभी इन परंपराओं को मानने वाले हैं. काफिरों की हत्या करने वाले लोग अपना धर्म मानते हैं. ऐसे लोग अगर धर्म की परिभाषा बोल रहें है, तो वो खतरनाक है. इसलिए विवाद छिड़ा हुआ है."
बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय
बीजेपी सांसद ने कहा, " बढ़ती जनसंख्या निश्चित तौर पर चिंता का विषय है, क्योंकि बढ़ती आबादी और घटते संसाधनों के कारण आने वाले समय में खतरा है." ओमप्रकाश राजभर के द्वारा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की बात पर सुब्रत पाठक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक दलित महिला को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया गया है, जिससे दलीय सीमाएं टूट गई हैं. कई दलों ने उन्हें अपना समर्थन दिया है.
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