
- श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ वाली शिलापट्टिका को कुछ लोगों ने तोड़ दिया, जिससे विवाद और बवाल हुआ.
- CM उमर अब्दुल्ला ने वक्फ बोर्ड की गलती बताई और धार्मिक स्थलों में राष्ट्रीय प्रतीक के प्रयोग पर सवाल उठाए.
- वक्फ बोर्ड अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ PSA के तहत कड़ी कार्रवाई की मांग की.
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ वाली एक नवनिर्मित शिलापट्ट को कुछ लोगों ने तोड़ दिया जिसके बाद वहां बवाल मच गया. मामला राष्ट्रीय प्रतीक से जुड़ा है, तो इस मुद्दे ने सियासी रंग भी ले लिया है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जहां इसे वक्फ बोर्ड की गलती करार दिया है. वहीं, प्रदेश में वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी ने प्रतीक चिह्न हटाने वालों के खिलाफ जन सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत कानूनी कार्रवाई की मांग की है. पुलिस ने इस मामले में कई गंभीर धाराओं में अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. यह घटना उस मस्जिद के हाल में जीर्णोद्धार के बाद हुई जिसमें पैगंबर मोहम्मद के पवित्र चिह्न रखे हैं. मस्जिद के भीतर लगे पत्थर की उद्घाटन पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक अंकित था, जिसकी मुस्लिम समुदाय ने आलोचना की और इसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं.
राष्ट्रीय प्रतीक तोड़ने पर लगी ये धाराएं, जानें कितनी हो सकती है सजा
इस घटना में भारतीय न्याय संहिता की धारा 300 (धार्मिक अनुष्ठान करते समय जानबूझकर बाधा डालना), 352 (शांति भंग करने या अन्य अपराध को भड़काने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना), 191 (2) (दंगा), 324 (किसी व्यक्ति या जनता को नुकसान पहुंचाना) और 61 (4) (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मामला दर्ज किया गया है. भारत में राष्ट्रीय ध्वज या राष्ट्रीय प्रतीक के सम्मान को बनाए रखने के लिए भारतीय ध्वज संहिता, 2002 और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 लागू है, जिसका उल्लंघन करने पर अधिकतम 3 साल की सजा दी जा सकती है और साथ में 5 लाख तक का जु्र्माना भी लगाया जा सकता है.
CM उमर अब्दुल्ला ने उठाया ये सवाल
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में वक्फ बोर्ड द्वारा लगाई गई पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न के इस्तेमाल की आलोचना की. उन्होंने कहा कि यह प्रतीक चिह्न सरकारी समारोहों के लिए है, धार्मिक संस्थानों के लिए नहीं. दक्षिण कश्मीर में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड को इस ‘गलती' के लिए माफी मांगनी चाहिए, जिससे धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने के दौरान पत्रकारों से अब्दुल्ला ने कहा, 'सबसे पहला सवाल तो यह है कि क्या इस पत्थर पर राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न लगाना चाहिए या नहीं. मैंने कभी किसी धार्मिक स्थल पर इस तरह से प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल नहीं देखा.' उन्होंने कहा कि मस्जिदें, मंदिर और गुरुद्वारे सरकारी संस्थाएं नहीं हैं. ये धार्मिक संस्थाएं हैं और धार्मिक संस्थाओं में सरकारी प्रतीक चिह्न का इस्तेमाल नहीं किया जाता.

राष्ट्रीय प्रतीक हटाने वाले 'आतंकवादी' और 'गुंडे', लगे PSA
सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) सहित राजनीतिक नेताओं और नमाजियों ने तर्क दिया कि इबादतगाह में मूर्ति प्रदर्शित करना एकेश्वरवाद के इस्लामी सिद्धांत का उल्लंघन है, जो मूर्ति पूजा को सख्ती से प्रतिबंधित करता है. जुमे (शुक्रवार) को दोपहर की सामूहिक नमाज के ठीक बाद अज्ञात लोगों ने पत्थर की पट्टिका तोड़ दी और राष्ट्रीय प्रतीक हटा दिया. इससे नाराज अंद्राबी ने मस्जिद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पट्टिका को तोड़ने वालों को 'आतंकवादी' और 'गुंडे' करार दिया. उन्होंने एफआइआर दर्ज करने और आरोपियों पर पीएसए (जन सुरक्षा कानून) के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है. पीएसए एक कठोर कानून है, जो बिना सुनवाई के किसी आरोपी को दो साल तक हिरासत में रखने की अनुमति देता है. अंद्राबी ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब राष्ट्रीय प्रतीक का प्रयोग देश भर में निर्वाचित नेताओं द्वारा किया जाता है, तो यह विवाद का विषय क्यों बन जाता है? उन्होंने विशेष रूप से एनसी के मुख्य प्रवक्ता और विधायक तनवीर सादिक के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की और कहा कि जिन लोगों ने यह कृत्य किया, वे उनके 'गुंडे' थे.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा- माफी की जगह PSA?
राष्ट्रीय प्रतीक को हटाने के विवाद पर एनसी ने ‘एक्स' पर एक बयान जारी कर प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसमें टकराव के बजाय आपसी सम्मान और विनम्रता की जरूरत पर जोर दिया गया. पार्टी ने माना कि पट्टिका के डिजाइन को लेकर चिंताएं व्यक्त की गई थीं, तथा कहा कि हजरतबल जैसे पवित्र स्थान के भीतर किसी भी गतिविधि में 'श्रद्धालुओं की संवेदनशीलता और आस्था के सिद्धांतों' का सम्मान किया जाना चाहिए. एनसी ने कहा 'वक्फ किसी भी व्यक्ति की निजी संपत्ति नहीं है. यह एक ट्रस्ट है, जो आम मुसलमानों के योगदान और दान से चलता है, और इसे उनके मजहब और परंपराओं के अनुरूप ही प्रबंधित किया जाना चाहिए.' एनसी ने कहा कि परेशान करने वाली बात यह है कि 'लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए उनसे माफी मांगने के बजाय पीएसए के तहत गिरफ्तारी की धमकियां दी जा रही हैं.'
क्या मुसलमानों को जानबूझकर उकसाया जा रहा: PDP
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता इल्तिजा मुफ़्ती ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा कि 'ऐसा लगता है कि मुसलमानों को जानबूझकर उकसाया जा रहा है.' उन्होंने अंद्राबी की पीएसए की मांग की आलोचना करते हुए इसे 'दंडात्मक और सांप्रदायिक मानसिकता' का प्रतिबिंब बताया. इल्जिजा ने कहा, 'कश्मीरियों को सिर्फ इसलिए 'आतंकवादी' करार देना, क्योंकि उन्होंने किसी ऐसी बात पर अपना गुस्सा व्यक्त किया जिससे उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुईं और पुलिस से उन पर पीएसए लगाने को कहना भाजपा की दंडात्मक और सांप्रदायिक मानसिकता को दर्शाता है.'
'अशोक स्तंभ चिन्ह को तोड़ना, गंभीर अपराध'
श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ चिन्ह को तोड़े जाने की घटना पर भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना ने इस घटना को राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान बताया और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है. भाजपा सांसद ने इसे राष्ट्रीय सम्मान के खिलाफ एक गंभीर अपराध माना है. उन्होंने कहा कि इस तरह की हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आईएएनएस से बातचीत में उन्होंने सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है. उन्होंने उमर अब्दुल्ला की सरकार, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों पर इस मुद्दे पर सियासत करने का आरोप लगाया. खटाना ने कहा कि इस्लाम में मस्जिद के अंदर चित्रों की अनुमति नहीं है, लेकिन बाहर दीवार पर राष्ट्रीय प्रतीक या ध्वज का सम्मान होता है. उन्होंने इस्लाम में नीयत की अहमियत पर जोर देते हुए इसे सरासर सियासत करार दिया. उन्होंने राष्ट्रीय प्रतीक को राष्ट्रीय ध्वज के समान महत्वपूर्ण बताया और कहा कि यह विश्व शांति, समृद्धि और सत्य का प्रतीक है. उन्होंने इस घटना को अपराध करार देते हुए, दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की.
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