भीमा- कोरेगांव हिंसा मामला : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा- कोरेगांव हिंसा मामले पर टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक्टिविस्ट गौतम नवलखा अपनी नजरबंदी के लिए सुरक्षा लागत का भुगतान करने के अपने दायित्व से बच नहीं सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर आपने हाउस अरेस्ट मांगा है, तो आपको इसका खर्च चुकाना होगा, कोर्ट ने कहा-आप अपने दायित्व से बच नहीं सकते हैं.
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू द्वारा सूचित किए जाने के बाद यह टिप्पणी की कि नवलखा पर एजेंसी का लगभग ₹1.64 करोड़ बकाया है.
अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई कर रही है, जिसमें 2018 के भीमा कोरेगांव दंगा मामले में आरोपी नवलखा को जमानत दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नजरबंदी की शर्तों से संबंधित एक्टिविस्ट की याचिका पर जमानत मामले के साथ सुनवाई की जा रही है. नवलखा की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने भुगतान करने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन आंकड़ों पर विवाद किया है. उन्होंने कहा कि एजेंसी ने 1.64 करोड़ रुपये की गलत गणना की है.
इस मामले पर एसजी राजू ने कहा कि हर बार वे यही कहते है. उन्होंने कहा कि मुझे आपकी फाइल नहीं, नोट का कागज देखना है. जस्टिस भट्टी ने इस बात पर जोर दिया कि दोनों पक्षों को सहयोग करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, जब तक वकील हैं आंकड़े उड़ते रहेंगे, आप लोग हमारी बात सुनते ही नहीं हैं. हम इसे उच्चतम स्तर तक पहुंचने देने के बजाय एक सप्ताह का समय देंगे. इस मामले पर कोर्ट अगले शुक्रवार को सुनवाई करेगा. जस्टिस भट्टी ने कहा आप दोनों को जो भी आरोप लगाना है लगा लें. फैसला हम करेंगे. अदालत ने मामले की सुनवाई 19 अप्रैल को तय की है, तब तक नवलखा की जमानत पर अंतरिम रोक भी बढ़ा दी है.
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