भीमाकोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी वर्णन गोंसाल्विस और अरुण परेरा को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आरोप गंभीर हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि जमानत नहीं दी जा सकती. हम जमानत पर उचित शर्तें लगाने का प्रस्ताव करते हैं. हम हाईकोर्ट का आदेश रद्द करते हैं और दोनों को जमानत देते हैं. यूएपीए के आरोपों के तहत गिरफ्तार इन दोनों आरोपियों की जमानत याचिका अक्टूबर 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी. इन दोनों को हिंसा फैलाने के आरोप में अगस्त 2018 को गिरफ्तार किया गया था. तब से ही ये दोनों तलोजा जेल में बंद हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने वर्णन गोंसाल्विस और अरुण परेरा को जमानत देने के साथ ही कड़ी शर्तें भी लगाई हैं. कोर्ट ने कहा कि आरोपी बिना निचली अदालत के आदेश के महाराष्ट्र के बाहर नहीं जायेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को अपना पासपोर्ट सम्बंधित अथॉरिटी के पास जमा कराने का आदेश दिया है.
ये हैं सुप्रीम कोर्ट की शर्तें
- वर्णन गोंसाल्विस और अरुण परेरा महाराष्ट्र राज्य नहीं छोड़ेंगे.
- सु्प्रीम कोर्ट ने दोनों अपीलकर्ताओं को पासपोर्ट सरेंडर करने को कहा है.
- वर्णन गोसाल्विस और अरुण परेरा सिर्फ एक-एक मोबाइल का उपयोग करेंगे.
- एनआईए (NIA) अधिकारी को पते के बारे में सूचित करना होगा.
- मोबाइल नंबर को एनआईए के साथ साझा किया जाना चाहिए और फोन 24 घंटे चार्ज रहना चाहिए. साथ ही फोन की लोकेशन भी चालू रहनी चाहिए, जिससे NIA अधिकारी ट्रैक कर सकें.
- यदि शर्तों का कोई उल्लंघन होता है, तो अभियोजन इस अदालत को संदर्भित किए बिना जमानत रद्द करने की मांग कर सकता है.
- यदि गवाह को धमकाने का कोई प्रयास किया गया, तो एनआईए जमानत रद्द करने के लिए आगे बढ़ सकता है.
यह मामला पुणे में 31 दिसंबर 2017 में एक संस्था के कार्यक्रम से जुड़ा है और पुणे पुलिस का कहना है कि इसके लिए धन माओवादियों ने दिया था. पुलिस का आरोप है कि कार्यक्रम के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक में हिंसा भड़की थी.
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