गैरकानूनी गतिविधियां कानून यानी UAPA को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना UAPA के तहत अपराध है. अदालत ने UAPA के प्रावधान को बरकरार रखा. जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस सीटी रविकुमार और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने ये फैसला सुनाया.
सुप्रीम कोर्ट ने अपना पहले का फैसला पलटा. पहले के फैसले में कहा गया था कि सिर्फ गैरकानूनी संगठन का सदस्य होना UAPA के तहत अपराध नहीं है. इसके लिए कोई कार्य करना जरूरी है.
सुप्रीम कोर्ट को ये तय करना था कि क्या एक 'गैरकानूनी संगठन' की सदस्यता ही यूएपीए के तहत अपराध का गठन करने के लिए पर्याप्त है या सदस्यता से ऊपर कुछ प्रत्यक्ष काम होना चाहिए जो UAPA के दंडात्मक प्रावधानों को आकर्षित करने के लिए एक शर्त है.
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