पूर्व पहलवान बबीता फोगाट ने मंगलवार को दावा किया कि निगरानी समिति की उनकी साथी सदस्य राधिका श्रीमन ने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर अंतिम रिपोर्ट उनके पूरा पढ़ने से पहले ही उनसे छीन ली थी. पूर्व खेल प्रशासक राधिका ने हालांकि इन आरोपों को सिरे से नकार दिया है.
विरोध करने वाले पहलवानों के जोर देने पर आरोपों की जांच के लिए सरकार के जांच पैनल में शामिल बबीता ने आरोप लगाया कि उन्हें कुछ आपत्तियां थीं, लेकिन राधिका ने उन्हें पूरी रिपोर्ट पढ़ने नहीं दी. बबीता ने पीटीआई को बताया, ‘‘मैंने अंतिम रिपोर्ट के कुछ ही पन्ने पढ़े थे और मुझे कुछ आपत्तियां थीं, लेकिन राधिका श्रीमन ने आकर रिपोर्ट छीन ली. उन्होंने कहा कि चूंकि मैं उसी परिवार (फोगाट) से संबंधित हूं जो विरोध प्रदर्शन कर रहा है इसलिए मैं रिपोर्ट नहीं पढ़ सकती.''
उन्होंने कहा, ‘‘वह अध्यक्ष (मेरीकोम) की ओर से काम कर रही थी और उसने मुझे बताया कि अध्यक्ष ने फैसला किया है (रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने को लेकर).''पीटीआई द्वारा संपर्क किए जाने पर राधिका ने आरोप को ‘हास्यास्पद' बताते हुए खारिज कर दिया.
राधिका ने कहा, ‘‘मैं ऐसा क्यों करूंगी? ऐसा कुछ करने से मुझे क्या लाभ होगा. वास्तव में उसने रिपोर्ट को चार-पांच बार पढ़ा और निष्कर्षों से सहमत हुई. रिपोर्ट में लिखे गए प्रत्येक शब्द को उसे समझाया गया.''
उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट में जो कुछ भी लिखा गया है वह उन सभी की गवाही पर आधारित है जो सुनवाई के लिए उपस्थित हुए और सब कुछ वीडियो में रिकॉर्ड किया गया है, इसके साथ छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. अगर मैंने उससे रिपोर्ट छीनी ही थी तो उसने ऐसा अपने नोट में क्यों नहीं लिखा.''
राधिका ने कहा, ‘‘यह निराधार आरोप है. वास्तव में होली की पूर्व संध्या पर, सभी सदस्य बैठे थे और सुनवाई के आधार पर जो भी मसौदा तैयार किया गया उसका बबीता को एक-एक शब्द समझाया गया था और वह संतुष्ट थी.'' राधिका ने यह भी कहा कि रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए समिति के सभी सदस्यों से चार अप्रैल को भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) के मुख्यालय में एकत्रित होने का अनुरोध किया गया था लेकिन बबीता नहीं आई.
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि उस दिन उसका फोन भी स्विच ऑफ था. उसने कहा कि उसका बच्चा अस्वस्थ था इसलिए हमने उसे पांच अप्रैल को आने और रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा. बाकी सभी लोग चार अप्रैल को आ गए थे. इसलिए अध्यक्ष ने फैसला किया कि जो सदस्य उपस्थित हैं वे रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और बबीता बाद में ऐसा कर सकती है.''
सरकार ने विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया सहित पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए दिग्गज मुक्केबाज एमसी मेरीकॉम की अध्यक्षता में निगरानी समिति का गठन किया था.
छह सदस्यीय पैनल में पूर्व पहलवान योगेश्वर दत्त, पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी तृप्ति मुरगुंडे, राधिका और टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना के पूर्व सीईओ राजेश राजगोपालन भी शामिल थे. पैनल ने पांच अप्रैल को अपनी रिपोर्ट सौंप दी लेकिन सरकार ने अभी तक इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया है.
हालांकि पीटीआई को पता चला है कि जांच पैनल ने बृजभूषण को 5-1 के फैसले से क्लीन चिट दे दी है. जब पहलवान अपना विरोध फिर से शुरू करने जंतर-मंतर लौट आए और उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया तो विनेश ने कहा कि बबीता को पहलवानों से ज्यादा अपने राजनीतिक करियर की चिंता है.
यह पूछे जाने पर कि वह पिछली बार जनवरी की तरह विरोध स्थल पर क्यों नहीं गई तो बबीता ने कहा, ‘‘मैं पहलवानों के साथ थी और उनके साथ रहूंगी। मैं किसी राजनीतिक दबाव में नहीं हूं.''
ये भी पढ़ें:-
"सभी दलों का स्वागत है": दिल्ली में #MeToo प्रोटेस्ट पर बैठे पहलवानों ने बदली अपनी रणनीति
भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव पर लगी रोक, पहलवानों के धरने के बीच आया फैसला
महिला पहलवानों ने पुलिस के रवैये पर उठाए सवाल, याचिका पर SC में शुक्रवार को सुनवाई
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं