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ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी और उनके बेटों की हत्या मामले में सजायाफ्ता दारा सिंह पहुंचा SC, सजा माफी की मांग

2022 में उड़ीसा हाईकोर्ट ने दारा सिंह और तीन अन्य लोगों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. चारों को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी थी. ये वो घटना थी, जिसने ओडिशा में हलचल मचा दी थी.

ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी और उनके बेटों की हत्या मामले में सजायाफ्ता दारा सिंह पहुंचा SC, सजा माफी की मांग
नई दिल्ली:

ओडिशा में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और नाबालिग बेटों की हत्या के मामले में उम्रकैद सजायाफ्ता दारा सिंह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. दारा सिंह ने कोर्ट से सजा की माफी और रिहाई के निर्देश देने की मांग की. दोषी ने राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई का हवाला दिया और कहा कि दो दशक पहले किए गए अपराध को वो कबूल करता है और उस पर खेद है. उसकी ग्राहम स्टेंस से कोई निजी दुश्मनी नहीं थी. याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को नोटिस जारी किया और 6 हफ्ते में जवाब मांगा है.

जस्टिस ह्रषिकेश रॉय और जस्टिस एस वी एन भट्टी की बेंच ने ये नोटिस जारी किया है.

वकील विष्णु जैन ने दारा सिंह की ओर से बहस करते हुए कहा कि वो 24 साल से ज्यादा वक्त से जेल में है, वहीं राज्य सरकार की सजा माफी का नियम 25 साल है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट याचिका पर विचार करे.

दरअसल याचिका में दारा सिंह ने कहा है कि वो लगभग 61 साल का है और वो 24 साल से ज्यादा वक्त से जेल में है. याचिकाकर्ता को कभी पैरोल पर रिहा नहीं किया गया और यहां तक ​​कि जब उसकी मां का निधन हुआ, तब भी वह उनका अंतिम संस्कार नहीं कर सका, इसलिए क्योंकि उसे पैरोल पर रिहा नहीं किया गया. वो दो दशक से अधिक समय पहले किए गए अपराधों को स्वीकार करता है और गहरा खेद व्यक्त करता है.

उसने कहा कि भारत के क्रूर इतिहास पर युवाओं की भावनाओं से प्रेरित होकर उसका मानस क्षण भर के लिए संयम खो बैठा था. न्यायालय के लिए ये आवश्यक है कि वह केवल कार्रवाई की ही नहीं, बल्कि अंतर्निहित इरादे की भी जांच करे, क्योंकि उसकी पीड़ित के प्रति कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी.

याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता मुगलों और अंग्रेजों द्वारा भारत पर किए गए बर्बर कृत्यों से व्यथित होकर अशांत मनःस्थिति में था. भारत माता की रक्षा और बचाव के उत्साही प्रयास में, उसने खेदजनक अपराध किए. इन कार्यों को संदर्भ में रखना महत्वपूर्ण है, व्यक्तिगत द्वेष से प्रेरित होने के बजाय राष्ट्र की रक्षा करने की उत्कट इच्छा को लेकर याचिकाकर्ता उन अशांत समय के आसपास की परिस्थितियों की समझ और निष्पक्ष मूल्यांकन चाहता है.

2022 में उड़ीसा हाईकोर्ट ने दारा सिंह और तीन अन्य लोगों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था. चारों को निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा दी थी. ये वो घटना थी, जिसने ओडिशा में हलचल मचा दी थी.

दरअसल 1 सितंबर, 1999 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के जमुबनी में एक चर्च में आग लगा दी गई. कैथोलिक फादर चर्च में आग लगने के बाद भाग रहे थे, उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी. जिला न्यायाधीश बारीपदा की अदालत ने दारा सिंह को 23 सितंबर 2007 को दोषी ठहराया था.

दारा सिंह के अलावा निचली अदालत ने 8 सितंबर 2004 को शुरू हुई मामले की सुनवाई के दौरान 23 गवाहों से पूछताछ के बाद जदुनाथ मोहनतो, चेमा हो और राजकिशोर मोहनतो को दोषी पाया था. चारों ने 30 अक्टूबर 2007 को आपराधिक अपील दायर कर अपनी दोषसिद्धि को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने जहां चेमा और जदुनाथ को जमानत दी, वहीं सर्वोच्च न्यायालय ने राजकिशोर की जमानत याचिका को मंजूरी दी. इन सभी वर्षों में आपराधिक अपील लंबित थी.

दारा सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेन्स और उनके नाबालिग बेटों, फिलिप और टिमोथी को 22 जनवरी, 1999 को क्योंझर जिले के मनोहरपुर गांव में एक चर्च के बाहर जलाकर मार दिया था. पुलिस उसकी तलाश कर रही थी, लेकिन उसे जनवरी 2000 में गिरफ्तार किया जा सका था, तब से वह जेल में ही है.

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