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This Article is From May 08, 2024

एस्ट्राजेनेका विवाद के बाद कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को डरने की कितनी जरूरत?

एस्ट्राजेनेका ने फरवरी में ब्रिटिश हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. इसके फॉर्मूले से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) ने कोवीशील्ड (Covishield) नाम से वैक्सीन बनाई थी.

भारत में 175 करोड़ लोगों को कोविशील्ड के डोज दिए गए थे.

नई दिल्ली:

ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका (Astrazeneca) अपनी कोविड-19 वैक्सीन (Covid Vaccine) में साइड इफेक्ट (Covishield Side Effect)की बात अदालत में मानने के बाद उसकी बिक्री बंद करने वाली है. एस्‍ट्राजेनेका अब दुनियाभर से अपने कोरोना के टीके को वापस ले रही है. कंपनी का कहना है कि दुनियाभर में मांग कम होने के बाद वैक्सीन वापस ली जा रही है. एस्ट्राजेनेका ने 2020 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वायरस से लड़ने के लिए ये वैक्सीन बनाई थी. इसके फॉर्मूले से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute of India) ने कोवीशील्ड (Covishield) नाम से वैक्सीन बनाई थी. वहीं, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में इसे 'वैक्सजेवरिया' नाम से जाना जाता है. देश के करीब 175 करोड़ लोगों को कोविशील्ड की डोज गई. 

एस्ट्राजेनेका ने इस साल 5 मार्च को वैक्सीन वापस लेने की अर्जी दी थी. मंगलवार (7 मई) से इसे लागू किया गया. अब यूरोपीय संघ में वैक्सीन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. अब एस्ट्राजेनेका के इस कदम के बाद भारत में कोविशील्ड लेने वाले लोग परेशान हैं. आइए जानते हैं कि क्या कोविशील्ड के वाकई साइड इफेक्ट हैं. इससे इससे जान को खतरा है? आखिर कोविशील्ड के ऐसे प्रभाव कब तक रह सकते हैं:-

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एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन के क्या हैं साइड इफेक्ट?
एस्ट्राजेनेका ने फरवरी में ब्रिटिश हाईकोर्ट को बताया था कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं. कंपनी ने कोर्ट में एफिडेविट जमा किए थे. इसमें कहा गया था कि कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है. TTS (TTS Syndrome) में किसी इंसान के शरीर में ब्लड क्लॉट हो जाते हैं. उसकी प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है. हालांकि, ऐसा बहुत दुर्लभ मामलों में ही होगा.

बता दें कि एस्ट्राजेनेका कंपनी पर आरोप है कि उसके वैक्सीन के इस्तेमाल से कई लोगों की मौत हो गई. कइयों को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट में 51 केस चल रहे हैं. पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब एक हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है.

एस्ट्राजेनेका पर लगे आरोपों के बाद अब भारत में उसके फॉर्मूले से बनी कोविशील्ड को लेकर नई बहस छिड़ गई है. भारत में सबसे ज्यादा डोज कोविशील्ड की ही लगी थी. ऐसे में लोगों को डर है. हालांकि, इसके पहले भारत सरकार ये बता चुकी है कि भारत में लगने वाले कोरोना वैक्सीन के प्रभावों का बाकायदा हिसाब रखा गया. लाखों में एकाध ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें कोई साइड इफेक्ट दिखा हो. 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में सीनियर डॉक्टर धीरज कौल ने NDTV से कहा, "वैक्सीन को लगे 2 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है. जिन साइड इफेक्ट्स की बात की जा रही है, वो नए नहीं है. ये साइड इफेक्ट पहले आ चुके हैं. कोई दिक्कत आती है, तो या तो टीके के तुरंत बाद दिखती है या फिर महीने से डेढ़ महीने में असर दिखना शुरू हो जाता है. कुछ केस में असर दिखा भी. लेकिन ये 0.007 % है. लिहाज़ा अब डरने की बात नहीं है."  

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कोविशील्ड को लेकर क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट?
डॉक्टर धीरज कौल कहते हैं, "ब्लड में एक सेल होता है, जो क्लोटिंग को रोकता है. लेकिन अगर ये सेल बढ़ जाए, तो क्लोंटिग हो सकती है. इससे प्लेटलेट्स भी गिर सकती है. मार्च 2021 में हमने इसके केस रिपोर्ट करने शुरू किए थे. तब तकरीबन ढाई लाख लोगों में एक शख्स में ऐसे साइड इफेक्ट देखने को मिले. यानी ये रेयर केस है. ज्यादातर ये साइड इफेक्ट युवाओं में होता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसे लेकर एक गाइडलाइन जारी किया था." 

सीरम इंस्टीट्यूट के मुताबिक टीका लगवाने के बाद आपको बेहोशी या चक्कर आने की समस्या हो सकती है. इसके अलावा दिल की धड़कन में बदलाव, सांस फूलने या सांस लेने के दौरान सीटी जैसी आवाज आने की समस्या हो सकती है. होठ, चेहरे या गले में सूजन की समस्या भी सामने आ सकती है.

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क्या कहती है सीरम इंस्टीट्यूट?
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड को वापस लिए जाने पर प्रतिक्रिया जताई है. दिसंबर 2021 से कोविशील्ड का प्रोडक्शन बंद है. ये सारे रेयर साइड इफेक्ट पहले से ही जाने जा चुके हैं. कोविशील्ड में हमने पारदर्शिता और सुरक्षा को सबसे ज़्यादा अहमियत दी. इसकी वजह से लाखों जानें बची हैं. हालांकि, कंपनी ने सलाह दी है कि इस स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें. कंपनी का कहना है कि ये समस्याएं 10 में से एक व्यक्ति को हो सकती हैं.  

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