मध्य प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों (Assembly Elections 2023) में सभी राजनीतिक दल महिला मतदाताओं (Female Voters) पर खासतौर से फोकस कर रहे हैं. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जहां महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं चलाई गई हैं. वहीं, उन्हें अपने पाले में लाने के लिए कई लोक लुभावन वादे भी किए जा रहे हैं. इसके पीछे कारण है मतदान में उनकी बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी.
बीजेपी (BJP) और कांग्रेस (Congress) दोनों ही राजनीतिक दलों के साथ मध्य प्रदेश के चुनाव में पहली बार एंट्री कर रही आम आदमी पार्टी के निशाने पर महिला वोटर ही हैं. चुनाव में महिलाओं की निर्णायक भागीदारी को देखते हुए शिवराज सरकार 'लाड़ली बहना' (Ladli Behna)योजना का जोर-शोर से प्रचार कर रही है. दूसरी ओर कांग्रेस ने भी सरकार आने पर 'नारी सम्मान' (Naari Samman) योजना और 500 रुपये में गैस सिलेंडर के वादे किए हैं.
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आइए जानते हैं कैसे बदला वोटिंग पैटर्न और महिला वोटर्स को आखिर किस पर भरोसा है? लेकिन उससे पहले कुछ आंकड़ों पर नजर डालते हैं:-
मध्य प्रदेश में मतदान (2023 विधानसभा चुनाव)
चुनाव पुरुष महिला
2018 76% 74%
2013 73.9% 70.1%
2008 72.3% 65.9%
2003 71.9% 62.1%
मध्य प्रदेश में मतदान (2018 विधानसभा चुनाव)
पार्टी पुरुष महिला
बीजेपी 40% 43%
कांग्रेस 39% 43%
बीएसपी 5% 6%
अन्य 17% 8%
मध्य प्रदेश में मतदान 2013 विधानसभा चुनाव)
पार्टी पुरुष महिला
बीजेपी 44% 46%
कांग्रेस 36% 37%
बीएसपी 6% 6%
अन्य 14% 11%
खुद को महिला सशक्तीकरण की आवाज़ बता रहे हैं शिवराज चौहान
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों जोर-शोर से अपनी सरकार की योजनाओं का बखान कर रहे हैं. हाल ही में सीएम शिवराज के महिलाओं के पैर धोने की तस्वीर भी वायरल हुई थी. उस कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कहा था, "मेरी बहनों मैं वचन देता हूं कि तुमने आरती उतारकर दीपक जलाकर भाई का स्वागत किया है, मैं आपके जीवन में कभी अंधेरा नहीं रहने देगा. मैं प्रदेश की बहनों को वचन दे रहा हूं. महिला सशक्तीकरण की आवाज़ हूं मैं... शिवराज हूं मैं..."
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पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या में सिर्फ 3.45 प्रतिशत का अंतर
महिलाओं की जागरुकता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 2023 में अब तक प्रकाशित वोटर लिस्ट के मुताबिक पुरुषों के मुकाबले महिला वोटर्स की संख्या में सिर्फ 3.45 प्रतिशत का अंतर है. ये अब तक की वोटर लिस्ट के इतिहास में सबसे कम माना जा रहा है. 20 सालों के आंकड़ों में तो इसकी पुष्टि भी होती है. इसके पहले 2018 में यह पुरुष और महिला वोटर का अंतर 4.01 प्रतिशत, 2013 के चुनाव में 5.34, वर्ष 2008 के चुनाव में 5.52 और 2003 के चुनाव में 4.36 प्रतिशत रहा है.
राजस्थान में भी महिला वोटर्स की संख्या ज्यादा
मध्य प्रदेश के साथ ही राजस्था में भी महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है. यहां 60 से लेकर 99 आयु वर्ग के मतदाताओं में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कहीं आगे है. 60 से 69 आयु वर्ग के मतदाताओं में पुरुष वोटरों की संख्या 2617332 है, जबकि महिलाओं की संख्या 2619051 है. जैसे-जैसे आयु वर्ग बढ़ता है, वैसे-वैसे महिला मतदाताओं की संख्या भी बढ़ती जाती है. 70 से 79 आयु वर्ग में पुरुष मतदाता 1220726 हैं. महिला मतदाता 1413173 हैं. जबकि 80 से 89 आयु वर्ग में पुरुष वोटर 373931 और महिलाओं की संख्या 580011 है. यह आंकड़े 2 अगस्त को जारी मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की सूची के आधार पर हैं.
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इस साल कुल 5 करोड़ 44 लाख 52 हजार 522 मतदाता रजिस्टर्ड
2023 में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा तैयार कराई गई वोटर लिस्ट के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल कुल 5 करोड़ 44 लाख 52 हजार 522 मतदाता रजिस्टर्ड हैं. इसमें 2 करोड़ 81 लाख 26 हजार 191 पुरुष और 2 करोड़ 62 लाख 49 हजार 578 महिला वोटर हैं. लिस्ट में शामिल महिलाओं का प्रतिशत 48.20 और पुरुषों का प्रतिशत 51.65 है.
राजस्थान में महिलाओं के लिए कैंपेन
मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में भी महिला मतदाताओं को फोकस में रखते हुए ऐलान किए जा रहे हैं और कैंपेन हो रही है. सीएम अशोक गहलोत ने इस साल बजट से ही महिलाओं के लिए घोषणाओं और योजनाओं की झड़ी लगा दी थी. उनके प्रचार के पोस्टरों का रंग भी इस बार महिला थीम पर गुलाबी रखा गया. योजनाओं की बात करें तो राजस्थान सरकार ने महिलाओं के लिए बचत राहत बढ़त, महंगाई राहत, स्मार्ट फोन, सत्ता सिलेंडर, मुफ्त राशन, फ्री बिजली जैसी योजनाएं चलाई हैं.
चुनाव आने पर हर दल महिलाओं को लेकर बड़ी बड़ी बातें करता है. महिला आरक्षण लागू होने पर इस विधानसभा में 76 महिला विधायक बैठ सकती हैं, लेकिन 230 सदस्यों वाली विधानसभा में इस वक्त सिर्फ 21 विधायक बैठी हैं. यानी 10 प्रतिशत से भी कम. इनमें से 11 बीजेपी से, 10 कांग्रेस से और एक बहुजन समाज पार्टी की महिला विधायक हैं.
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