जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस को आम आदमी पार्टी ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया. आम आदमी पार्टी की तरफ से उपराज्यपाल को समर्थन पत्र सौंप दिया गया है. जम्मू कश्मीर में 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए, इन चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन ने शानदार जीत हासिल. वहीं बीजेपी को शिकस्त का सामना करना पड़ा. इस बार राज्य के नए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ही होंगे.
नेशनल कांफ्रेंस ने जीती सबसे ज्यादा सीट
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सबसे अधिक 42 सीटें जीती हैं. उनकी सहयोगी कांग्रेस ने 6 सीटें जीती हैं और गठबंधन में तीसरी सहयोगी पार्टी सीपीएम ने 1 सीट जीती. नेशनल कॉन्फ्रेंस की 42 सीटों में चार निर्दलीय विधायकों के सीटें जुड़ने के बाद इसके समर्थन में कुल विधायकों की संख्या 46 हो गई है, जो कि विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए न्यूनतम संख्या बल है. यह ताकत हासिल करने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस को कांग्रेस और सीपीएम के सामने हाथ फैलाने की जरूरत नहीं है. वह चाहे तो कांग्रेस और सीपीएम को सत्ता में हिस्सेदारी से बेदखल कर सकती है. यह हालात नेशनल कॉन्फ्रेंस को 'मजबूर' नहीं बल्कि 'मजबूत' सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त करने वाले बन गए हैं.
सरकार को मजबूत करने में लगे उमर अब्दुल्ला
जम्मू कश्मीर में मुख्यमंत्री बनने जा रहे नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अपनी सरकार के सुरक्षित भविष्य के लिए विकल्प तैयार रखने की रणनीति अपनाई है. एनसी अपने बलबूते पर बहुमत में नहीं है. उसे सिर्फ चार विधायकों के समर्थन की जरूरत है. ऐसे में यदि कांग्रेस के 6 विधायक सरकार से समर्थन वापस ले लेते हैं तो सरकार गिर सकती है. चार निर्दलीय विधायकों के साथ सरकार सुरक्षित रह सकती है. दूसरी तरफ यदि निर्दलीय विधायक सरकार से बाहर जाते हैं तो कांग्रेस और सीपीएम सरकार के साथ होने पर उसके गिरने का खतरा नहीं रहेगा.
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