असम की डिब्रूगढ़ यूनिवर्सिटी में रैगिंग से बचने के लिए खुदकुशी की कोशिश का मामला सामने आया है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, यूनिवर्सिटी के पीएनजीबी हॉस्टल में रहने वाले एक छात्र ने रैगिंग से तंग आकर हॉस्टल की दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी. छात्र को कई चोटें आई हैं. उसे अस्पताल ले जाया गया है. इस मामले में एक छात्र को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 4 सीनियर छात्रों को हिरासत में लिया गया है.
रैगिंग की यह घटना रविवार को हुई. घायल छात्र की पहचान आनंद शर्मा के रूप में की गई है. छात्र की हालत नाजुक बताई गई है. उसका अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है. पीड़ित छात्र के परिजनों ने इस मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. अधिकारियों ने कहा कि इस घटना की जांच शुरू कर दी गई है.
सूत्रों के मुताबिक पीड़िता की मां ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कुछ बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं. दोषियों के खिलाफ डिब्रूगढ़ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने वाली सरिता शर्मा ने आरोप लगाया कि यह घटना उनके बेटे की रैगिंग और मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने, उसे मारने का प्रयास करने, उसके पैसे लूटने और उसका मोबाइल फोन छीनने का नतीजा था. उन्होंने अपने बेटे के हाथ में जबरन शराब और गांजा देकर आपत्तिजनक तस्वीरें लेने की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों पर उनके भविष्य के बचाव के लिए आधार तैयार करने की साजिश का भी आरोप लगाया.
घायल छात्र की मां सरिता शर्मा ने कहा, "मेरा बेटा पिछले चार महीनों से कह रहा है कि उसे सीनियर छात्रों द्वारा प्रताड़ित किया गया है. कल रात, उसने मुझे फोन किया कि मैं हॉस्टल जा रहा हूं. बेटे ने बताया था कि सीनियर्स सुबह तक प्रताड़ित करते हैं. मेरे बेटे की पैर की हड्डी टूट गई है. उसके सीने पर चोटें आई है."
डिब्रूगढ़ के एसपी ने बताया कि इस मामले में एफआईआर दर्ज कर मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है. जबकि उसका साथ देने वाले 4 अन्य को हिरासत में लिया गया है.
सीएम ने जारी किया बयान
वहीं, असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने भी इस घटना पर बयान जारी किया है. उन्होंने मामले की निंदा करते हुए छात्रों ने रैगिंग नहीं करने की अपील की. असम के सीएम ने ट्वीट किया, 'पता चला है कि डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय के एक छात्र को रैगिंग के एक कथित मामले में चोट लगी है. करीबी नजर रखी गई थी और जिला प्रशासन के साथ आगे की कार्रवाई का समन्वय किया गया था. पीड़ित को चिकित्सा देखभाल प्रदान की जा रही है.'
SC ने 2001 में रैगिंग को पूरी तरह बैन किया
विभिन्न शिक्षण संस्थानों में हल्की फुल्की रैगिंग, बुलिंग को मामूली माना जाता था, लेकिन समय गुजरने के साथ साथ इसने गंभीर रूप ले लिया. भारत की बात करें तो सन 1990 तक रैगिंग ने भयानक रूप अख्तियार कर लिया था. आंकड़ों पर भरोसा करें तो सन 1997 में रैगिंग के सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु में दर्ज किए गए थे. कई छात्रों ने रैगिंग की वजह से कालेज छोड़ दिया था. कई डिप्रेशन के शिकार हो गए थे. इनमें से कुछ ने मौत को भी गले लगा लिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2001 में रैगिंग को पूरी तरह से बैन कर दिया.
रैगिंग के खिलाफ कहां शिकायत करें?
देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में एंटी रैगिंग कमेटी (anti ragging commitee), एंटी रैगिंग स्कवायड (anti ragging squad) और एंटी रैगिंग मानिटरिंग सेल (anti ragging monitoring cell) का गठन किया गया है. रैगिंग का शिकार कोई भी छात्र यहां रैगिंग की शिकायत कर सकता है. अगर पीड़ित छात्र या छात्रा इनकी कार्रवाई से संतुष्ट नहीं होते, तो वह पुलिस स्टेशन जाकर सूचना प्राथमिकी या एफआईआर (FIR) दर्ज करा सकते हैं. दोषी पर आपराधिक मुकदमा कायम हो सकता है.
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