परेड करती असम रेजीमेंट
नई दिल्ली:
ऐसे संयोग विरले ही बनते हैं जब कोई एक ही रेजीमेंट न केवल तीनों सेनाओं में बेहतरीन मार्चिंग दस्ते का सम्मान हासिल करे बल्कि आर्मी डे परेड में भी बेस्ट मार्चिंग दस्ते का खिताब ले उड़े। असम रेजीमेंट ने इस साल कुछ ऐसा ही कर दिखाया है।
26 जनवरी को राजपथ पर हुई गणतंत्र दिवस परेड और उससे पहले 15 जनवरी को आर्मी डे परेड में असम रेजीमेंट बेस्ट मार्चिंग दस्ता घोषित किया गया। पूर्वोत्तर के सात राज्यों से चुने गये 149 जवानों ने लेफ्टिनेंट आदित्य बिष्ट की अगुवाई में परेड में हिस्सा लिया। इस मौके पर रेजीमेंट के कर्नल ऑफ द रेजीमेंट लेफ्टिनेंट सुब्रतो साहा ने कहा कि ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जो कई महीनों की मेहनत से हासिल की जा सकी है। ये उपलब्धि इसलिए भी अहम है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है। ये हमारी रेजीमेंट की स्थापना का 75 वां साल भी है लिहाजा इस जीत को हम बेहतरीन तोहफे के तौर पर देखते हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों के नौजवान ही भर्ती किए जाते हैं असम रेजीमेंट में
असम रेजीमेंट का गठन 15 जून 1941 को शिलांग में हुआ और खास बात ये रही कि अपने पहले ही साल में इसने छह बैटल ऑनर और थियेटर ऑनर सम्मान हासिल किया। ये रेजीमेंट आजादी से पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान के खिलाफ बर्मा में भी बहादुरी का परचम लहरा चुकी है। इस रेजीमेंट में सिर्फ सात पूर्वोत्तर राज्यों के नौजवान ही भर्ती किए जाते हैं। रेजीमेंट का आदर्श वाक्य है 'असम विक्रम' जबकि युद्धघोष है 'राइनो चार्ज'।
26 जनवरी को राजपथ पर हुई गणतंत्र दिवस परेड और उससे पहले 15 जनवरी को आर्मी डे परेड में असम रेजीमेंट बेस्ट मार्चिंग दस्ता घोषित किया गया। पूर्वोत्तर के सात राज्यों से चुने गये 149 जवानों ने लेफ्टिनेंट आदित्य बिष्ट की अगुवाई में परेड में हिस्सा लिया। इस मौके पर रेजीमेंट के कर्नल ऑफ द रेजीमेंट लेफ्टिनेंट सुब्रतो साहा ने कहा कि ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि है जो कई महीनों की मेहनत से हासिल की जा सकी है। ये उपलब्धि इसलिए भी अहम है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है। ये हमारी रेजीमेंट की स्थापना का 75 वां साल भी है लिहाजा इस जीत को हम बेहतरीन तोहफे के तौर पर देखते हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों के नौजवान ही भर्ती किए जाते हैं असम रेजीमेंट में
असम रेजीमेंट का गठन 15 जून 1941 को शिलांग में हुआ और खास बात ये रही कि अपने पहले ही साल में इसने छह बैटल ऑनर और थियेटर ऑनर सम्मान हासिल किया। ये रेजीमेंट आजादी से पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जापान के खिलाफ बर्मा में भी बहादुरी का परचम लहरा चुकी है। इस रेजीमेंट में सिर्फ सात पूर्वोत्तर राज्यों के नौजवान ही भर्ती किए जाते हैं। रेजीमेंट का आदर्श वाक्य है 'असम विक्रम' जबकि युद्धघोष है 'राइनो चार्ज'।
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