Blogs | रवीश कुमार |बुधवार सितम्बर 7, 2022 11:05 PM IST देखा जाए तो इस पथ का कर्तव्य से कम संबंध हैं, सैर सपाटे और राजकीय प्रदर्शनों से ज़्यादा है।, सत्ता के रास्तों का नाम लोक और कर्तव्य कर देने के बाद भी सत्ता के चरित्र में बदलाव नहीं आता है। इस लिहाज से राजपथ ही ठीक रहता लेकिन अब जब ऐसा फैसला हो ही गया है तो कोई बात नहीं।