दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को शराब नीति मामले में सीबीआई से जुड़े केस में अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. हालांकि, "सुनवाई के दौरान सीबीआई इसका विरोध करती रही है और उन्होंने कहा, सिर्फ चार्जशीट फाइल करे से केजरीवाल को जमानत का हक नहीं मिल जाता है." सीबीआई ने यह भी कहा कि "केजरीवाल को गिरफ्तार किए बिना इंवेस्टिगेशन पूरी नहीं हो पाती."
सीबीआई ने केजरीवाल को बताया 'सूत्रधार'
सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने जस्टिस नीना बंसल कृष्ण से आर्ग्यूमेंट के दौरान कहा, "केजरीवाल को गिरफ्तार किए जाने के एक महीने में हमने चार्जशीट फाइल कर दी है. इसका मतलब है कि हमारी जांच अग्रीम अवस्था में है. पिछले एक महीने में मिले सबूत इस स्वभाव के हैं जो बताते हैं कि वह आबकारी नीति मामले के 'सूत्रधार' हैं".
सीबीआई के वकील ने दी ये दलील
डीपी सिंह ने इस संबंध में दलील दी कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद ही दर्ज किए जा सके हैं और पंजाब के अधिकारी गिरफ्तारी के बिना मामले के संबंध में बयान नहीं देते. इस पर केजरीवाल की ओर से कोर्ट में मौजूद वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी इंश्योरेंस अरेस्ट है और सीबीआई द्वारा उन्हें 'सूत्रधार' करार दिए जाने को उन्होंने 'काव्यात्मक' बताया है.
केजरीवाल के वकील ने कही ये बात
सिंघवी ने कहा कि आबकारी नीति का पहला ड्राफ्ट सितंबर 2020 में हुई थी और उस वक्त नौ एक्सपर्ट्स की कमिटी बनाई गई थी और इसके बाद जुलाई 2021 में नीति को पब्लिश किया गया था. उन्होंने कहा कि इसे बनाने में कई ब्यूरोकेट्स ने मदद की थी. सिंघवी ने यह भी कहा कि आबकारी नीति पर दिल्ली के पूर्व राज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री दोनों ने ही हस्ताक्षर किए थे.
जून में किया गया था केजरीवाल को गिरफ्तार
सिंघवी ने कहा था कि पॉलिसी को फ्रेम करने वाले अधिकारियों ने भी मामले में अपना बयान दिया है. बता दें कि अरविंद केजरीवाल को सीबीआई ने जून में आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार किया था.
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