प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
उसको 70 हजार रुपये में बंधुआ मजूदर के रूप में बेच दिया गया. पराए शहर में दो साल का बेटा बिछड़ गया. इन घटनाओं ने उसको तोड़ दिया लेकिन हिम्मत, हौसले और लोगों की मदद से उसने अपनी गुलामी से आजादी पाई और उसके बाद बच्चे को खोजने में भी कामयाब रही.
अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक असम में गुवाहाटी के नूनमती इलाके से ताल्लुक रखने वाली इस महिला का पति दिहाड़ी मजदूर है. गरीबी से तंग इस महिला ने एक मित्र से काम के लिए मदद मांगी. वहां पर इसको एक मानव तस्कर मुहाजिर अली मिला. उसने नौकरी देने का वादा किया. नतीजतन महिला अगले ही दिन अली और अपने दो साल के बेटे को लेकर दिल्ली आ गई. इनके साथ अली के दो साथी भी थे.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अली उसको नौकरी के लिए नियोक्ता के पास मिलवाने के लिए चल दिया और उसके बेटे को साथियों के पास छोड़ गया. इसके बाद जब वह लौटकर आई तो उसने देखा कि उसका बच्चा लापता है. अली भी फरार हो गया और उसको जबर्दस्ती एक वैन में बैठा दिया गया. वहां से उसे राजस्थान के एक गांव में एक बिजनेसमैन के घर पहुंचाया गया.
मालिक ने उसे घरेलू काम में लगा दिया. चंद घंटों के भीतर ही उसने वहां से निकल भागने का विफल प्रयास किया लेकिन उसको कमरे में बंद कर दिया गया.
इधर दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाह के पास झुग्गी-झोपडि़यों में रहने वाले लोगों को वहां छोड़ा हुआ बच्चा मिला. दरगाह के निकट एक कूड़ा बीनने वाले परिवार ने उसे अपना लिया. उन्होंने पुलिस को इत्तला भी दी लेकिन माता-पिता का कुछ पता नहीं चला.
उधर राजस्थान के गांव में उसको एकांत में बंद करके रखा जाता. जब पता चला कि वह गर्भवती है तो उसको खाना-पानी भी दिया जाने लगा लेकिन कमरे से बाहर नहीं निकलने देते. इससे हताश और निराश इस महिला ने खुदकुशी करने का फैसला किया. लेकिन बिजनेसमैन की पत्नी इसी बीच आई और उसने तरस खाते हुए 50 रुपये देकर जाने के लिए कहा.
लिहाजा वहां से निकलकर वह निकटवर्ती रेलवे स्टेशन पहुंची. टिकट परीक्षक को अपनी व्यथा बताई. उसने गुवाहाटी जाने वाली ट्रेन में एक बर्थ दिलाई. इस तरह वह असम में अपने घर नूनमती पहुंची. वहां उसने पुलिस में रिपोर्ट लिखाई. असम और दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की एवं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मुहाजिर अली को पकड़ा. उसने अपना गुनाह कबूला. उसके बाद पुलिस और एनजीओ के सामूहिक प्रयासों से कई दिनों की मशक्कत के बाद बच्चे को खोज लिया गया. इस तरह एक महीने और दो दिन के बाद उसको फिर से अपना बच्चा मिला. इस तरह एक दुखद कहानी का सुखद अंत हुआ.
अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की रिपोर्ट के मुताबिक असम में गुवाहाटी के नूनमती इलाके से ताल्लुक रखने वाली इस महिला का पति दिहाड़ी मजदूर है. गरीबी से तंग इस महिला ने एक मित्र से काम के लिए मदद मांगी. वहां पर इसको एक मानव तस्कर मुहाजिर अली मिला. उसने नौकरी देने का वादा किया. नतीजतन महिला अगले ही दिन अली और अपने दो साल के बेटे को लेकर दिल्ली आ गई. इनके साथ अली के दो साथी भी थे.
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर अली उसको नौकरी के लिए नियोक्ता के पास मिलवाने के लिए चल दिया और उसके बेटे को साथियों के पास छोड़ गया. इसके बाद जब वह लौटकर आई तो उसने देखा कि उसका बच्चा लापता है. अली भी फरार हो गया और उसको जबर्दस्ती एक वैन में बैठा दिया गया. वहां से उसे राजस्थान के एक गांव में एक बिजनेसमैन के घर पहुंचाया गया.
मालिक ने उसे घरेलू काम में लगा दिया. चंद घंटों के भीतर ही उसने वहां से निकल भागने का विफल प्रयास किया लेकिन उसको कमरे में बंद कर दिया गया.
इधर दिल्ली में निजामुद्दीन दरगाह के पास झुग्गी-झोपडि़यों में रहने वाले लोगों को वहां छोड़ा हुआ बच्चा मिला. दरगाह के निकट एक कूड़ा बीनने वाले परिवार ने उसे अपना लिया. उन्होंने पुलिस को इत्तला भी दी लेकिन माता-पिता का कुछ पता नहीं चला.
उधर राजस्थान के गांव में उसको एकांत में बंद करके रखा जाता. जब पता चला कि वह गर्भवती है तो उसको खाना-पानी भी दिया जाने लगा लेकिन कमरे से बाहर नहीं निकलने देते. इससे हताश और निराश इस महिला ने खुदकुशी करने का फैसला किया. लेकिन बिजनेसमैन की पत्नी इसी बीच आई और उसने तरस खाते हुए 50 रुपये देकर जाने के लिए कहा.
लिहाजा वहां से निकलकर वह निकटवर्ती रेलवे स्टेशन पहुंची. टिकट परीक्षक को अपनी व्यथा बताई. उसने गुवाहाटी जाने वाली ट्रेन में एक बर्थ दिलाई. इस तरह वह असम में अपने घर नूनमती पहुंची. वहां उसने पुलिस में रिपोर्ट लिखाई. असम और दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू की एवं नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मुहाजिर अली को पकड़ा. उसने अपना गुनाह कबूला. उसके बाद पुलिस और एनजीओ के सामूहिक प्रयासों से कई दिनों की मशक्कत के बाद बच्चे को खोज लिया गया. इस तरह एक महीने और दो दिन के बाद उसको फिर से अपना बच्चा मिला. इस तरह एक दुखद कहानी का सुखद अंत हुआ.
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