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This Article is From Feb 19, 2021

'एक्‍शन-इमोशन' से भरी है फांसी की सजा पाने वाली शबनम की कहानी, जेल में पैदा बेटे ताज को गोद लेकर पढ़ा रहा एक पत्रकार..

शबनम बिन ब्‍याहे गर्भवती थी. घरवाले नाराज थे तो उसने मां-बाप, समेत परिवार के सात लोगों का कत्‍ल कर दिया था. उसने जेल में जिस बच्‍चे ताज को जन्‍म दिया था उसे पत्रकार उस्‍मान सैफी पाल रहे हैं

राष्‍ट्रपति से मां शबनम की फांसी की सजा कम करने की अपील करता हुआ उसका बेटा

लखनऊ:

उत्‍तर प्रदेश के अमरोहा की जिस शबनम को फांसी होनी है, उसका बच्‍चा राष्‍ट्रपति से फांसी की सजा कम करने की अपील कर रहा है. शबनम बिन ब्‍याहे गर्भवती थी. घरवाले नाराज थे तो उसने मां-बाप, समेत परिवार के सात लोगों का कत्‍ल कर दिया था. उसने जेल में जिस बच्‍चे ताज को जन्‍म दिया था उसे पत्रकार उस्‍मान सैफी पाल रहे हैं जो शबनम पर किताब लिखने उससे जेल में मिलते थे. सैफी उसे एक नई जिंदगी देना चाहते थे. सैफी कहते हैं कि मां गुनाहगार होगी लेकिन बेटा बहुत मासूम है. ताज की मां ने चाहे जो गुनाह किया हो लेनि बेटा तो हमेशा चाहेगा ही कि उसकी मां हमेशा जिंदा रहे लिहाजा वह उसकी फांसी की सजा में कमी की फरियाद कर रहा है.

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नन्‍हा ताज कहता है, 'मैं प्रेसीडेंट अंकल जी से ये चाहता हूं कि जो मेरी मम्‍मा शबनम हैं उन्‍हें फांसी की सजा नहीं दी जाए.' ताज अब शहर के एक बड़े स्‍कूल में पढ़ता है, उस्‍मान वैसे तो उस शबनम की कहानी पर किताब लिखने के लिए जेल जाते थे, जिसने मां-बाप समेत घर के सात लोगों का कत्‍ल कर दिया लेकिन जेल में शबनम के बच्‍चे पर उन्‍हें इतना प्‍यार आया कि उसे कानूनी तौर पर घर ले आए. ताज को अपनाने वाले पिता (foster father) उस्‍मान कहते हैं, यही सोचकर कि उसको अच्‍छी जिंदगी मिले तो मैंने यहां से जो एक किताब लिखने का प्रोग्राम था, उसे टालकर ताज को एक बेहतर जिंदगी देने का फैसला किया. ये लगभग छह साल, सात महीने और सात दिन जेल में रहा और उसके बाद वहां से रिलीज होने के बाद से यह हमारे साथ है.'

शबनम का बेटा ताज अपने नए घर में खुश है. जेले में बच्‍चे नहीं थे लेकिन यहां तमाम बच्‍चे उसके दोस्‍त हैं. ताज के नए घर में उस्‍मान ने उससे उसके नाम का एक पेड़ भी लगाया है. ताज हर महीने अपनी मां से मिलने जेल जाता है, वे उसे गला लगाकर चूमती है. ताज कहता है, 'जब भी जाता हूं तो गले लगती हैं फिर पूछती हैं बेटा कैसे हो? क्‍या कर रहे थे? स्‍कूल आपके कब खुल रहे हैं, पढ़ाई कैसी चल रही है? पापा-मम्‍मी को परेशान तो नहीं करते...यह सब पूछती हैं' उस्‍मान और उनकी पत्‍नी वंदना की जिदंगी का अब सबसे बड़ा मकसद है ताज को नई जिंदगी देना. वे इसके लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं.  उस्‍मान कहते हैं, 'एक बाप और बेटे का ही रिश्‍ता है...और उससे बढ़कर है क्‍योंकि मुझे बहुत उम्‍मीदें हैं इस बच्‍चे से. हमारी कोशिश है कि हम इसे बेहतर एजुकेशन दें, एक अच्‍छा इंसान बनाएं ताकि समाज में मैसेज जाए कि हां उसकी मां ने जो अपराध किया है बच्‍चा अपराधी नहीं है...'

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