
- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के क्वालिटी बार मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को जमानत दी है.
- आजम खान पर मंत्री रहते हुए अवैध तरीके से क्वालिटी बार की जमीन पत्नी और बेटे के नाम आवंटित करने का आरोप है.
- इस मामले में दर्ज एफआईआर 2019 में हुई थी और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2025 में आजम खान की जमानत मंजूर की है-
जेल में बंद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के चर्चित क्वालिटी बार पर अवैध कब्जे के मामले में आजम खान की जमानत अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें जमानत दे दी है. कई सालों से जेल में बंद आजम खान को क्वालिटी बार मामले में जमानत मिलने के बाद अब उनका जेल से बाहर आने का रास्ता भी लगभग साफ हो गया है. आजम खान के खिलाफ कुल 96 मामले दर्ज है जिसमें सभी में बेल मिल चुकी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट में हालांकि आजम खान के खिलाफ कई मामले सुनवाई के लिए लंबित है जिनमें उन्होंने ट्रायल कोर्ट से मिली सजा को चुनौती दी हुई है.
नवंबर 2019 में दर्ज हुई एफआईआर
आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजम खान की क्वालिटी बार मामले में जमानत मंजूर कर ली. इस मामले में मोहम्मद आजम खान ने रामपुर की एमपी एमएलए कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 17 मई 2025 को रामपुर एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान की जमानत याचिका खारिज की थी. दरअसल आजम पर मंत्री रहते हुए रामपुर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में हाईवे स्थित सईद नगर हरदोई पट्टी में क्वालिटी बार पर कब्जा करने का आरोप लगा था.
21 नवंबर 2019 को बार स्वामी गगन अरोड़ा की शिकायत पर तत्कालीन राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह ने रामपुर के सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी. इस मामले में सैयद जफर अली जाफरी, डॉ तंजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम खान के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी. सभी की खिलाफ रामपुर के सिविल लाइंस थाने में आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 201, 120-B और 467 में मामल दर्ज हुआ था.
क्या हैं आजम पर आरोप
आरोप है कि मंत्री रहते हुए आजम खां ने 13 मार्च 2014 को जिला सहकारी संघ लिमिटेड की 169 वर्ग गज जमीन जिस पर क्वालिटी बार था उसे मात्र 1200 रुपए मासिक किराए पर अपनी पत्नी डॉ. तंजीन फात्मा के नाम आवंटित कर दिया गया था. इसके अलावा इस आराजी के साथ लगी एक और जमीन 302 वर्ग मीटर 300 रुपए प्रति महीने की दर पर डॉ तंजीन फात्मा को किराए पर दी गई थी. बाद में 22 जुलाई 2014 को उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां को सह किराएदार के रूप में जोड़ा गया था.
आरोप लगा था कि जिला सहकारी संघ के तत्कालीन चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी की अध्यक्षता में प्रस्ताव पास हुआ था. पुलिस ने सभी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी थी. पुलिस ने चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, आजम खां की पत्नी डॉ. तजीन फात्मा व बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खां को नामजद किया था. विवेचना के दौरान पुलिस ने सपा नेता आजम खां को भी आरोपी बनाया था. इसी मामले में एमपी एमएलए कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद जमानत के लिए आजम खान ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की शरण ली.
जमानत के खिलाफ क्या थीं दलीलें
इलाहाबाद हाईकोर्ट में सपा नेता की ओर से अधिवक्ता इमरान उल्लाह, मोहम्मद खालिद, विनीत विक्रम ने पक्ष रखते हुए कहा कि याची को इस मामले में राजनीतिक रंजिश के कारण फंसाया गया है. मुकदमा 2019 में दर्ज हुआ और आजम खान को 2024 में आरोपी बनाया गया. वहीं सुनवाई के दौरान जमानत का विरोध करते हुए अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और एजीए रूपक चौबे ने कहा कि आजम खान का लंबा आपराधिक इतिहास है.
घटना के वक्त वह तत्कालीन सरकार में नगर विकास मंत्री थे. आजम खान ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर अपराध किया है. सारी दलीलों को सुनने के बाद 21 अगस्त 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब इस मामले में जमानत मिलने के बाद आजम खान के वकीलों का कहना है कि आजम अब जल्द ही जेल की सलाखों से बाहर आ जाएंगे. हालांकि जिन मामलों में सुनवाई लंबित है वो चलती रहेगी.
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