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This Article is From Sep 16, 2014

चीनी सेना की मदद से चीनी खानाबदोशों ने गाड़ दिए भारतीय सरजमीन पर खेमे

चीनी सेना की मदद से चीनी खानाबदोशों ने गाड़ दिए भारतीय सरजमीन पर खेमे
लेह/नई दिल्ली:

लद्दाख के देमचोक क्षेत्र में गतिरोध आज दसवें दिन में प्रवेश कर गया, जबकि चीनी खानाबदोशों ने वहां जारी सिंचाई परिरयोजना कार्य पर विरोध प्रदर्शन करने के लिए चीनी सेना की मदद से भारतीय सरजमीन पर खेमे गाड़ दिए हैं।

लद्दाख से भाजपा सांसद थुपस्तान चेवांग ने इस कार्रवाई को चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की कल से शुरू हो रही भारत यात्रा के पहले 'चीनी सेना की नीच हरकत' करार दिया है।

उधर, देमचोक में हालात जस के तस बने हुए हैं और चीनी सैनिकों ने तब तक भारतीय सरजमीन खाली करने से इनकार कर दिया है, जब तक सिंचाई नहर का निर्माण कार्य बंद नहीं होता।

चेवांग ने कहा, 'अब यह नीच होना है। चीनी सेना ने हमें एक नहर पर काम रोकने के लिए हमें बाध्य करने के लिए अपने असैनिकों को भेज दिया है, जो हमारी अपनी सरजमीन के बिल्कुल अंदर बनाई जा रही है। इस बार चीन की जनमुक्ति सेना पीछे बैठी है।'

सूत्रों के अनुसार चीनी खानाबदोशों ने लेह से 300 किलोमीटर दूर देमचोक इलाके में भारतीय सरजमीन के अंदर खेमे गाड़ दिए हैं और तब तक इलाका खाली करने से इनकार कर दिया है जब तक काम रोका नहीं जाता।

चीनी खानाबदोश इस साल पांच सितंबर और छह सितंबर की दरम्यानी रात में भारतीय सरजमीन में तकरीबन 500 मीटर अंदर घुस गए। सूत्रों ने बताया कि भारत के असैनिक भी वहां स्थल पर डट गए हैं और चीनी 'रेबोस' को काम रोकने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। इससे इलाके में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। दोनों पक्षों की सेनाएं अपने असैनिकों की रक्षा के लिए बैनर ड्रिल कर रही हैं।

यह इलाका तिब्बत के कैलाश-मानसरोवर के रास्ते में पड़ता है, जिसके बारे में भारत चीनी अधिकारियों से आग्रह करता रहा है कि इस इलाके को तीर्थयात्री मार्ग के रूप में खोल दें क्योंकि यह इलाका कठिन और जोखिम भरा नहीं है।

निकटवर्ती चुमार इलाके में जनमुक्ति सेना ने 100 भारतीय सैनिकों के एक दल की घेरेबंदी कर दी थी और उनपर चीनी सरजमीन में प्रवेश करने का आरोप लगाया था। बहरहाल, इलाके में कुमुक आने के बाद चीनियों को वहां से जाना पड़ा। यह मामला भी चुशुल में नियमित फ्लैग मीटिंग में उठाया गया था।

चीनियों ने पिछले साल देपसांग के मैदानी इलाके के डीबीओ क्षेत्र में खेमे गाड़ दिए थे और गतिरोध तीन हफ्ते तक चलता रहा।

भाजपा सांसद ने इस बार चीनी सेना की 'ताजा घुसपैठ' पर आश्चर्य जताया और केंद्र से आग्रह किया कि इस मुद्दे को चीनी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान उनके समक्ष उठाया जाए।

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