महाराष्ट्र के ताजा घटनाक्रम के बाद राजनीतिक गलियारे में नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड को लेकर अटकलों का बाज़ार गर्म हैं. इन अटकलों को उस समय और बल मिला, जब बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद सुशील कुमार मोदी ने भविष्यवाणी कर डाली की जनता दल यूनाइटेड के कई विधायक और सांसद उनके संपर्क में हैं, लेकिन अब नीतीश कुमार को एक बार फिर साथ लेने का कोई सवाल नहीं उठता. हालांकि, सुशील मोदी के इस कथन का जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ़ ललन सिंह ने तुरंत बयान दिया कि सुशील मोदी का बयान मुंगेरी लाल के हसीन सपने देखने के समान हैं और उनके अनुसार, मोदी अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए ऐसे बयान देते रहते हैं.
लेकिन जनता दल यूनाइटेड सूत्रों की मानें तो पार्टी के कई नेता ख़ासकर वो विधायक जो लोक सभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, वो बीजेपी के नेताओं के साथ संपर्क में हैं. वैसे ही पार्टी के 16 लोकसभा सांसदों में से कई जिन्हें राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन के कारण टिकट कटने की आशंका सता रही हैं, वैसे लोग भी बीजेपी के अलग-अलग नेताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं. लेकिन इसका दूसरा पक्ष ये भी है कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी 40 में से कम से कम 30 सीट पर अवश्य अपने उम्मीदवार उतारेगी और बाक़ी के दस सीटे अपने सहयोगियों जैसे चिराग़ पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, उपेन्द्र कुशवाहा, मुकेश साहनी की वीआईपी और जीतन राम माँझी को देगी, लेकिन उनके चुनाव चिन्ह पर भी बीजेपी की कोशिश होगी. उम्मीदवार या तो उनकी पसंद या उनके पार्टी के नेता हो जिससे बाद में जीतने पर अपने पार्टी में शामिल कराया जा सके. लेकिन फ़िलहाल बीजेपी के 17 सांसद हैं और आज की तारीख़ में उसे 13 सीटों के लिये उम्मीदवार या प्रत्याशी चाहिए, जिसमें कुछ पार्टी के नेता प्रत्याशी होंगे और कुछ बाहरी मतलब जनता दल या राष्ट्रीय जनता दल के विधायक को मिलाया जा सकता हैं.
हालांकि, बीजेपी के नेता मानते हैं कि फ़िलहाल अभी पार्टी किसी विधायक को कोई आश्वासन देने की स्थिति में नहीं और ना कोई विधायक या सांसद अपनी सदस्यता खोने के जोखिम में पार्टी नेतृत्व केंखिलाफ़ विद्रोह का बिगुल बजाना चाहता हैं. वहीं, नीतीश के क़रीबियों का कहना है कि विधायक को कोई शिकायत का मौक़ा ना हो इसलिए नीतीश कुमार ख़ुद सबसे मिलकर उनकी हर समस्या का निवारण कर रहे हैं और किसी विधायक को अगर लोकसभा में उम्मीदवार बनाने का प्रलोभन देने की जहां तक बात है, तो बीजेपी के कई विधायक पाला बदल सकते हैं, लेकिन ये सब खेल चुनाव के आसपास होगा ना कि अभी कुछ महीनों में.
नीतीश कुमार के समर्थक कहते हैं कि पिछले दिनों वो चाहे पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह हो या उपेन्द्र कुशवाहा कोई भी नेता गया तो उसके साथ ना एक सांसद ना विधायक पार्टी छोड़ कर गए, क्योंकि सबको मालूम है कि वो विधायक या सांसद बने नीतीश कुमार के कारण और जब तक उनका अपने आधारभूत वोटर पर पकड़ बरकरार हैं विधायकों या सांसदों के आने जाने से पार्टी या सरकार के सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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