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This Article is From Apr 03, 2024

33 साल बाद पूर्व PM मनमोहन सिंह लंबी संसदीय पारी का समापन

राजनीति में कदम रखने से पहले ही सिंह एक अर्थशास्त्री और विद्वान के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. वह अक्टूबर, 1991 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए. उस समय वह पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री थे और उसी दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था के दरवाजे दुनिया के लिए खुले तथा उदारीकरण के युग की शुरुआत हुई.

33 साल बाद पूर्व PM मनमोहन सिंह लंबी संसदीय पारी का समापन

भारत में आर्थिक सुधारों के सूत्रधार माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (91) का राज्यसभा का कार्यकाल बुधवार को खत्म हो गया और इसी के साथ उनकी 33 साल लंबी संसदीय पारी का पटाक्षेप हो गया. मृदुभाषी, विद्वान और विनम्र सिंह ने भारतीय राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई और आखिरी बार वह राजस्थान से राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे.

दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे सिंह का बचपन संघर्ष में बीता. शुरुआती दिनों में अपने गांव में केरोसिन तेल की लालटेन के उजाले में पढ़ाई करने वाले सिंह ने सार्वजनिक जीवन में बुलंदियों को छुआ.

राजनीति में कदम रखने से पहले ही सिंह एक अर्थशास्त्री और विद्वान के रूप में अपनी पहचान बना चुके थे. वह अक्टूबर, 1991 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए. उस समय वह पीवी नरसिंह राव की सरकार में वित्त मंत्री थे और उसी दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था के दरवाजे दुनिया के लिए खुले तथा उदारीकरण के युग की शुरुआत हुई.

बतौर वित्त मंत्री दुनिया भर में सराहे गए सिंह को प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोपों पर आंख मूंदने जैसे आरोपों का सामना करना पड़ा. वर्ष 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे सिंह छह बार राज्यसभा सदस्य रहे, हालांकि कभी निचने सदन में नहीं पहुंच सके.

उन्होंने केवल एक लोकसभा चुनाव (1999 में) लड़ा और भाजपा के विजय कुमार मल्होत्रा ​​​​से हार गए. उच्च सदन में सिंह का कार्यकाल (2019 में दो महीने के अंतराल को छोड़कर) निरंतर बना रहा. सिंह एक अक्टूबर, 1991 से 14 जून, 2019 तक लगातार पांच बार असम से राज्यसभा सदस्य रहे. वह 20 अगस्त, 2019 से राजस्थान से सदस्य थे और उनका कार्यकाल तीन अप्रैल, 2024 को समाप्त हो गया.

सिंह 21 मार्च, 1998 से 21 मई, 2004 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे. जब वह 2004 और 2014 के बीच प्रधानमंत्री रहे, तब वह उच्च सदन के नेता भी थे. भाजपा द्वारा उन पर भ्रष्टाचार से घिरी सरकार चलाने का आरोप लगाया जाता रहा है. पार्टी ने उन्हें ‘‘मौनमोहन सिंह'' कहा और आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडल में भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ नहीं बोला.

भाजपा नेता अमित मालवीय ने बुधवार को ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘डॉ. मनमोहन सिंह ने न केवल स्वतंत्र भारत के इतिहास में सबसे भ्रष्ट सरकार की अध्यक्षता की, बल्कि उन्होंने भारतीय नागरिकों को गरीब भी बनाया. इसके विपरीत, प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी ने भारतीय नागरिकों को और अमीर बना दिया.''

वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में सिंह ने कहा था, ‘‘मुझे ईमानदारी से उम्मीद है कि इतिहास, समकालीन मीडिया या संसद में विपक्षी दलों की तुलना में मेरे प्रति अधिक दयालु होगा.''

पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था और उन्हें कई महत्वपूर्ण मौकों पर व्हीलचेयर पर राज्यसभा की कार्यवाही में भाग लेते देखा जाता था.

हाल ही में राज्यसभा में सेवानिवृत्त सदस्यों की विदाई के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने उच्च सदन के सदस्य के रूप में सिंह की भूमिका की सराहना की थी और कहा था कि उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा. मोदी ने यह भी कहा था कि वह व्हीलचेयर पर रहते हुए वोट देने आए और उन्होंने लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए ऐसा किया.

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ अपनी पत्नी के साथ मंगलवार को सिंह के आवास पर निजी तौर पर पहुंचे और कांग्रेस के दिग्गज नेता को संसद में उनकी लंबी पारी के लिए बधाई दी और अभिनंदन किया.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सिंह से मुलाकात की और संसद में उनकी उपलब्धियों की सराहना की. उन्होंने एक पत्र में कहा कि वह मध्यम वर्ग और अकांक्षी युवाओं के लिए ‘‘नायक'' बने रहेंगे.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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